बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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पायल की झनकार से,दिल होता बेचैन।
आँखों में सपने सजे,चैन नहीं दिन रैन॥
चैन नहीं दिन रैन,सताती उसकी यादें।
आती उसकी याद,किये जो उसने वादे॥
कहे ‘विनायक राज’,प्रीत से होते घायल।
छम-छम की आवाज,पाँव में बजती पायल॥