मानवता घायल हुई

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** मानवता घायल हुई,विपदा का है काल।वायुकणों में बुन दिया,कोरोना ने जाल॥कोरोना ने जाल,हवा में जहर घुला है।कैसे लांघें द्वार,काल का द्वार खुला है!कह सागर कविराय,डरी है बिंदी,पायल।‘कोरोना’ से आज,हुई मानवता घायल॥ परिचय-डॉ.विद्यासागर कापड़ी का सहित्यिक उपमान-सागर है। जन्म तारीख २४ अप्रैल १९६६ और जन्म स्थान-ग्राम सतगढ़ है। वर्तमान और स्थाई पता-जिला पिथौरागढ़ … Read more

पुस्तक

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ विश्व पुस्तक दिवस स्पर्धा विशेष…… पुस्तक होती मित्र है,महिमा बड़ी महान।बढ़े मान यश कीर्ति सब,होता सबका ज्ञान॥होता सबका ज्ञान,सभ्यता है सिखलाती।देती शुभ संस्कार,सत्य पथ है दिखलाती॥पढ़ पुस्तक विद्वान,बने ऊँचा हो मस्तक।सदा ज्ञान का मान,जगत में देती पुस्तक॥ परम दिव्यमय ज्ञान है,पुस्तक अपरंपार।वेद शास्त्र उपनिषद का,सिखलाती है सार॥सिखलाती है सार,सभ्यता को समझाए।सत्य … Read more

किया नवल निर्माण

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ***************************************** समता का उजियार कर,किया नवल निर्माण।छुआछूत को लक्ष्य कर,मारे तीखे बाण॥मारे तीखे बाण,नया इक देश बनाया।बोले सब जय भीम,सुहाना मंज़र भाया॥तिमिर हुआ सब दूर,भाव आये ले ममता।बाबासाहब ख़ूब,रची भारत में समता॥ बढ़ता सकल समाज अब,बाबा का वरदान।सामाजिक नवचेतना,बिखरा मंगलगान॥बिखरा मंगलगान,चहकती है मानवता।छुआछूत है नष्ट,नहीं किंचित दानवता॥किया भीम उपकार,हटी बिखरी सब … Read more

जीवन विधाता जल

बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)****************************************** ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष… कुण्डल छंद विधान:२२ मात्रिक छंद–१२,१० मात्रा पर यति,यति से पूर्व व पश्चात त्रिकल अनिवार्य,चरणांत में गुरु गुरु (२२),दो दो चरण समतुकांत हो,चार चरण का एक छंद कहलाता है। जल ने आबाद किया,सुने है कहानी।जीवन विधाता बंधु,रीत रहा पानी।पानी बर्बाद किया,भावि नहीं देखे।पीढ़ी आज कह रही,कौन देय लेखे। … Read more

जिंदगी खोई-खोई

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)***************************************** जब कोई अवसाद से घिर,जाता है मित्र।फिर उसको दिखते सभी,धूमिल-धूमिल चित्र॥धूमिल-धूमिल चित्र,समझ में कुछ ना आए।लगे जिन्दगी भार,नहीं दिल को सुख भाए॥दिखे सघन तम और,जिन्दगी खोई-खोई।जाता है ‘शिव’ हार,स्वयं से ही जब कोई॥ परिचय- शिवेन्द्र मिश्र का साहित्यिक उपनाम ‘शिव’ है। १० अप्रैल १९८९ को सीतापुर(उप्र)में जन्मे शिवेन्द्र मिश्र का स्थाई व … Read more

नारी जग का सार

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ******************************************** महिला दिवस स्पर्धा विशेष…… नारी जग का सार है,नारी ही आधार।बिन नारी सब सून है,ममता काआगार॥ममता का आगार,रहे वह सब पर भारी।पावन है हर रूप,शक्ति स्वरूपा नारी॥ नारी हृदय विशाल है,ईश्वर का है रूप।देती सबको प्यार है,उसकी शक्ति अनूप॥उसकी शक्ति अनूप,लगे वह सबको प्यारी।भिन्न-भिन्न है रूप,सभी को भाती नारी॥ नारी घर … Read more

धरती है प्यारी हमें

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* धरती है प्यारी हमें,यही हमारी मात।ये सबको ही पालती,स्वस्थ रखे हर गात॥स्वस्थ रखे हर गात,क्षमा आभूषण इसका।रखें साफ हम ‘वात’,धर्म हो यही मनुज का॥कहता कवि करजोरि,उदर ये सबका भरती।जो भी लेता जन्म,सभी को पाले धरती॥ भरती रहती है सदा,अन्न वित्त भंडार।लेती कुछ भी है नहीं,देती सबको प्यार॥देती सबको प्यार,धरा है सबकी … Read more

आओ लें हम सब शपथ

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)***************************************** आओ लें हम सब शपथ,करना है मतदान।धूल चटा देंगे उन्हें,जो हैं धूर्त महान॥जो हैं धूर्त महान,उन्हीं से बचकर रहना।नेता चुनना श्रेष्ठ,यही है ‘शिव’ का कहना॥लोकतंत्र का पर्व,जश्न से इसे मनाओ।जो अठरा के पार,उन्हें संग लेकर आओ॥ भारत बस जनशक्ति से,होगा देश महान।काम सभी पीछे करें,पहले दें मतदान॥पहले दें मतदान,प्रथम कर्तव्य हमारा।शत-प्रतिशत … Read more

उड़े तिरंगा

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ************************************ गणतंत्र दिवस स्पर्धा विशेष………. पूरे भारत देश में,उड़े तिरंगा आज।रंग-बिरंगा आसमां,हमको तुम पर नाज॥हमको तुम पर नाज,गीत खुशियों के गाते।धरा हमारी शान,साथ झंडा फहराते॥झूमे-नाचे लोग,खुशी बिन रहे अधूरे॥आता है जब पर्व,स्वप्न होते हैं पूरे॥ लिए तिरंगा हाथ में,फहराते सब साथ।भारत माँ के सामने,सभी झुकाते माथ॥सभी झुकाते माथ,नमन वीरों को … Read more

बेटी

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)***************************************** बेटी दिवस होतीं दो परिवार की,आन-बान अरु शान।बेटी ममता स्नेह की,अनुपम कृति भगवान।अनुपम कृति भगवान,सृजन की हैं परिभाषा।शिव जीने की चाह,बेटियों की अभिलाषा।मिले खुला आकाश,नाम ‘शिव’ रोशन करतीं।जीवन का आधार,बेटियाँ जग में होतीं। पढ़ें-लिखें जब बेटियाँ,मिले बराबर मान।सच्चे अर्थों में तभी,करे देश उत्थानllकरे देश उत्थान,प्रगति में वही सहायक।दो कुल की जो … Read more