उठता धुआँ..

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ कर बंदगी- धुआँ बन उड़ती, यह जिंदगीl कर तू दुआ- न जले कोई घर, न उठे धुआँl उठता धूम्र- दूषित होती हवा, घटती उम्रl जिंदगी जुआ- समझ कर खेल, उठता धुआँl मन को छुआ- किसी की जिंदगी से, हटता धुआँl परिचय-निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम ‘नीर’ है। … Read more

ख़त….

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ ख़ामोश लब- लिखे हुए खतों में, छुपा है दर्द। मधुर स्मृति- बंद लिफ़ाफ़े में हैं, सुर्ख़ गुलाब। न कोई बात- चेहरा है बुझा-सा, नहीं जज़्बात। भीतरी घात- दर्द के अफ़साने, गुजरी रात। यही है किस्सा- गुमनाम ज़िन्दगी, मेरा है हिस्सा। परिचय-निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम ‘नीर’ है। … Read more

माखन चोर..

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ माखन चोर- चुरा दिल राधा का… है चितचोर। सुहानी भोर- भक्त के हृदय बसे… मुकुट मोर। मुरलीधर- राधा बिन अधूरे… प्यासे अधर। सुनने पीर- कृष्णा दौड़े आते हैं… यमुना तीर। मेरे कन्हैया- मझधार में नाव… तू ही खैवेया। परिचय-निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम ‘नीर’ है। आपकी जन्म … Read more

होलिका दहन

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ पर्व अनूठा होलिका दहन का, कोई न रूठा। बजे मृदंग मिल के खेलें हम, होली के रंग। गौरी के गाल कोई मल नहीं दे, लाल गुलाल। पीकर भंग मचा चारों तरफ़, है हुड़दंग। बदले ढंग कहीं हो नहीं जाए, रंग में भंग। परिचय-निर्मल कुमार जैन का साहित्यिक उपनाम … Read more

नैनों में ‘नीर’…

निर्मल कुमार जैन ‘नीर’  उदयपुर (राजस्थान) ************************************************************ नैनों में ‘नीर’, कौन समझता है मन की पीर। वक्त की मार, हर पल बहती अश्रु की धार। घाव गंभीर, बेदर्द है ज़माना धरना धीर। याद आती है, मेरी अँखियाँ यों ही भीग जाती है। जी लेता हूँ मैं, भीतर के दर्द को पी लेता हूँ मैं। परिचय-निर्मल … Read more