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मिलकर उत्सव मनाएं

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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मकर सक्रांति स्पर्द्धा विशेष….


देखो-देखो भाई,आज मकर सक्रान्ति आई,
हर घर से खुशबू,बनती तिल-गुड़ की मिठाई।

चौक-चौराहे बिक रही,है रंग-बिरंगी पतंग सजाई,
छत-आँगन में उड़े पतंग,बच्चों ने खुशियाँ मनाई।

पतंग उड़ाने के बहाने,हीर,रांझा को गले लगाई,
नीलगगन में ऐसे उड़े पतंग,मानो तितली मंडराई।

दादा-दादी,नाना-नानी भी बच्चों संग पतंग उड़ाई,
सक्रांति,लोहड़ी पर्व,सुबह तिल-गुड़ खूब खाई।

उत्तरायण अब शुरू हुआ है,देते अर्घ्य सूर्य देव को,
इसी उत्तरायण में भीष्म पितामह ने इच्छा मृत्यु पाई।

लगे इंद्रधनुष-सा जीवन मकर सक्रान्ति के आने से,
लगता मौसम सुहावना,बहती है मंद-मंद पुरवाई।

आओ मिलकर उत्सव मनाएं हिंदू पर्व महान का,
देखो-देखो भाई,मस्ती वाली मकर सक्रांति आई॥

परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

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