सरिता त्रिपाठी
लखनउ(उत्तरप्रदेश)
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ये माह है सावन का,ये माह है भोले का,
भोले का भजन कर तुम,करो उद्धार जीवन का।
ये रिमझिम सावन की,ये रिमझिम सावन की,
इस रिमझिम बारिश में,आनंद लो मौसम का।
घिरी काली घटाएं हैं,घिरी काली घटाएं हैं,
इन काली घटाओं संग,मन बादल बन उड़ने का।
चहुँओर हरियाली है,चहुँओर हरियाली है,
इस धरती की हरियाली,लाया बीज अंकुर का॥