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जिसे हम काव्य कहते हैं,सभ्यता की अटारी

इंदौर (मप्र)।

देश की युवा पीढ़ी हमारे संपूर्ण समाज की वो ऊर्जा है,वो शक्ति है जो अपनी एकाग्रता,परिश्रम व लगन से देश को प्रगति के पथ पर नवगति प्रदान कर सकती है। युवा वर्ग अपनी योग्यता से इस सामाजिक व्यवस्था को संतुलित करते हुएं अपने सार्थक जीवन के प्रयास में लगा है। ऐसे ही युवा अपनी क़लम से हमारे साहित्य जगत को भी नवल रूप दे सकते हैं। आवश्यकता है मनन-चिंतन की,पठन-पाठन की।
नगर के वरिष्ठ ग़ज़लकार बालकराम शाद ने साहित्यिक संस्था नई क़लम की मासिक काव्य गोष्ठी के अंतर्गत अध्यक्षीय उद्बोधन में यह विचार व्यक्त किए। गोष्ठी में अनेक क़लमकारों ने पाठ किया। संस्था के पदाधिकारी कवि विनोद सोनगीर ने बताया कि,मंदसौर के कवि यशवंत पाटीदार सिंघम की विशेष उपस्थिति के साथ ही संजय जैन बैजा़र,चंद्रशेखर विराट,सुनिल रघुवंशी सिपाही,कुनाल शर्मा,अमित अभ्यंकर,पीरूलाल कुंभकार एवं डॉ. विमल कुमार ने पाठ किया। मुख्य अतिथि समाजसेवी अश्फाक़ हुसैन तथा वरिष्ठ कवि हेमंत व्यास रहे। संचालन कवि लव यादव तथा कवि जितेन्द्र राज ने किया। आभार कवियित्री श्रुति मुखिया ने माना।

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