डॉ. अनिल कुमार बाजपेयी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
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बरखा की बूँदों-सी चंचल,
निर्मल जल से भी हो कोमल
रेशम-सी काया ले कर तुम,
पायल झनकाती आ जाओ।
इस सावन में तुम आ जाओ…
यादों की बारिश में भीगे,
पाने की ख्वाहिश में तपते
मेरी सूनी दुनिया में तुम,
चूड़ी खनकाती आ जाओ।
इस सावन में तुम आ जाओ…
छायी है कैसी वीरानी,
अग्नि जैसा लगता पानी
गीली आँखें बहते आँसू,
सपनों को बहलाने आ जाओ।
इस सावन में तुम आ जाओ…
मेघा कैसे गरज रहे हैं,
अम्बर में कैसे भटक रहे हैं।
मेरा मन भी करे है क्रन्दन,
मन को समझाने आ जाओ।
इस सावन में तुम आ जाओ…॥
परिचय–डॉ. अनिल कुमार बाजपेयी ने एम.एस-सी. सहित डी.एस-सी. एवं पी-एच.डी. की उपाधि हासिल की है। आपकी जन्म तारीख २५ अक्टूबर १९५८ है। अनेक वैज्ञानिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित डॉ. बाजपेयी का स्थाई बसेरा जबलपुर (मप्र) में बसेरा है। आपको हिंदी और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। इनका कार्यक्षेत्र-शासकीय विज्ञान महाविद्यालय (जबलपुर) में नौकरी (प्राध्यापक) है। इनकी लेखन विधा-काव्य और आलेख है।