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भूमिगत जल का संरक्षण आवश्यक

डॉ.पूर्णिमा मंडलोई
इंदौर(मध्यप्रदेश)

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ज से जल जीवन स्पर्धा विशेष…

मनुष्य अपने जीवन-यापन के लिए प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर रहता है,जिसमें जल,वायु,मृदा,
वन,जैव विविधता,खनिज,जीवाश्म ईंधन इत्यादि
शामिल है।इनमें से जल एकमात्र ऐसा प्राकृतिक संसाधन है,जो प्रत्येक जीव,पौधे एवं जंतुओं को एक समान आवश्यकता होती है। अतः,पानी की खपत बहुत अधिक है। जल का संरक्षण जीवन का संरक्षण है,
क्योंकि जल का उपयोग सिर्फ़ पीने के लिए ही नहीं,बल्कि कृषि,उद्योग,बिजली निर्माण एवं घरेलू
उपयोग के रूप में किया जाता है।

मात्र चर्चा नहीं प्रयास आवश्यक-

कईं वर्षों से हम महसूस कर रहे हैं कि भूमिगत
जल लगातार कम होता जा रहा है। इसके बहुत से कारण हैं। हमें इन कारणों को समझ कर दूर करने के उपाय सोचना होंगे,परंतु दुःख तो इसी बात का हैकि गर्मी कामौसम मार्च-अप्रैल आते ही हम पानी की कमी को महसूस करते हैं। इसी समय हमें पानी की अधिक आवश्यकता होती है और पानी की
उपलब्धता कम होती जाती है। इसी समय हम जल संरक्षण की बात करते हैं। जब पानी ही नहीं है तो इसका संरक्षण कैसे करेंगे ?
जल ही जीवन है,यह हम सब जानते हैं,लेकिन
उसके लिए प्रयास कितने लोग करते हैं ? आओ गर्मी के मौसम की बजाय क्यों न पूरे वर्षभर पानी की बचत की जाए।

वर्षा जल का संग्रहण-

पिछले दशक से लगातार भूमिगत जल में कमी
आई है। जल एक चक्रीय प्राकृतिक संसाधन है।चक्र के अनुसार वर्षा का जल हमें प्राप्त होता है, परंतु वर्षा के इस जल का जमीन में संग्रहण करना आवश्यक है। बारिश का मौसम आने से पहले ही इस तरह तैयारी कर ली जाए कि,बारिश का सारा पानी जमीन में एकत्रित किया जा सके। इसके लिए भूमिगत जल के स्तर में कमी के कारणों पर विचार कर उनका निराकरण किया जाना चाहिए।

भूमिगत जल में कमी के कारण-

इस जल के लगातार कम होने के कईं कारण हैं, जिसमें प्रमुख पेड़ों की कटाई,सीमेंट की सड़कों का बनना,सड़कों के दोनों तरफ पक्के ब्लॉक लगाना, तापमान का बढ़ना,नदियों का उथला होना,कुओं का बंद हो जाना,पानी काअत्यधिक दोहन,व्यर्थ
बहाव आदि है।
सीमेंट की सड़कों से तापमान में वृद्धि होती है,
जिससे पानी का वाष्पीकरण तेज हो जाता है और गर्मी के कारण पानी की मांग-खपत बढ़ जाती है। ऐसे ही सड़क के दोनों ओर पक्के ब्लाॅक्स लगाने से पानी जमीन में नहीं जा पाता बल्कि,बह कर निकल जाता है। पेड़-पौधों की कटाई से जमीन सीधे सूर्य की किरणों के सम्पर्क में आ जाती है औरजमीन का सारा पानी भाप बनकर उड़ जाता है,एवं जमीन बंजर हो जाती है। इस जमीन को पुनः उपजाऊ बनाने के लिए और अधिक पानी की आवश्यकता होती है।

जमीन में जल संग्रह के प्रयास-

जमीन में पानी की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए
हमें निरंतर प्रयास करना होंगे,जिसमें शासन की ओर से सामूहिक प्रयास एवं व्यक्तिगत रूप से विशेष प्रयास किए जाने चाहिए-बारिश के दिनों में प्रत्येक घर की छत का पानी
सीधे जमीन में जाने की व्यवस्था हो,बड़ी-बड़ी इमारतों में विशेष कर यह व्यवस्था की जानी चाहिए कि वाॅटर रिचार्जिंग हो,सड़कों के दोनों ओर
का हिस्सा कच्चा ही रखा जाना चाहिए,जिससे
वर्षा का जल मिट्टी में चला जाए,ट्यूबवेल और कुएं के पानी का कम उपयोग कर भूमिगत जल को को बचाया जा सकता है,किचन का एक बार उपयोग किया हुआ व्यर्थ पानी पौधों के लिए पुनः
उपयोग करके बचत की जा सकती है,नदियों को
पुनः जीवित करना एवं उथली नदियों और तालाबों को गहरा करना,नई छोटी-छोटी नदियां और तालाबों को विकसित किया जाए,ताकि उनके चारों ओर उगने वाली पादप प्रजातियों के कारण पानी जमीन में एकत्रित हो सके एवं मकान के पंजीयन के समय ये नियम बने कि उसमें रहने या भूखंड पर मकान बनवाने वाले व्यक्ति को शपथ-पत्र देना अनवार्य हो कि वे अपने घर में वाटर
रिचार्जिंग करवा कर पानी को संरक्षित करेंगे।इसके लिए कड़ी निगरानी भी जरूरी है। इस तरह छोटे-छोटे प्रयास ही इस समस्या का समाधान है। जल एक चक्रीय संसाधन है,इसलिए वर्षा की
प्रत्येक बूंद को सहेजना आवश्यक है। वर्षा के जल के प्रबंधन से ही हम इस संकट से मुक्त हो सकते हैं। प्राकृतिक उपहार को संरक्षित करके आनेवाली पीढ़ी को हम जलरुपी अमूल्य उपहार दे सकते हैं, एवं प्रकृति में संतुलन बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।

परिचय–डॉ.पूर्णिमा मण्डलोई का जन्म १० जून १९६७ को हुआ है। आपने एम.एस.सी.(प्राणी शास्त्र),एम.ए.(हिन्दी) व एम.एड. के बाद पी-एच. डी. की उपाधि(शिक्षा) प्राप्त की है। डॉ. मण्डलोई मध्यप्रदेश के इंदौर स्थित सुखलिया में निवासरत हैं। आपने १९९२ से शिक्षा विभाग में सतत अध्यापन कार्य करते हुए विद्यार्थियों को पाठय सहगामी गतिविधियों में मार्गदर्शन देकर राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर सफलता दिलाई है। विज्ञान विषय पर अनेक कार्यशाला-स्पर्धाओं में सहभागिता करके पुरस्कार प्राप्त किए हैं। २०१० में राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान (जबलपुर) एवं मध्यप्रदेश विज्ञान परिषद(भोपाल) द्वारा विज्ञान नवाचार पुरस्कार एवं २५ हजार की राशि से आपको सम्मानित किया गया हैL वर्तमान में आप सरकारी विद्यालय में व्याख्याता के रुप में सेवारत हैंL कई वर्ष से लेखन कार्य के चलते विद्यालय सहित अन्य तथा शोध संबधी पत्र-पत्रिकाओं में लेख एवं कविता प्रकाशन जारी है। लेखनी का उद्देश्य लेखन कार्य से समाज में जन-जन तक अपनी बात को पहुंचाकर परिवर्तन लाना है।