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किताब पढ़ने की प्रेरणा

डॉ.पूर्णिमा मंडलोई
इंदौर(मध्यप्रदेश)

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विश्व पुस्तक दिवस स्पर्धा विशेष……

मम्मी-मैंने जो किताब दी थी ! वो पढ़ी तूने ?’
‘हाँ,पढ़ी है मैंने।’
‘तो बता उसमें क्या पढ़ा ?’
मम्मी ने किताब में क्या लिखा था,क्या कहानी थी, उसमें कौन-कौन से पात्र थे,बता दिया। अब इस तरह के संवाद लगभग माँ-बेटे के बीच में रोज ही होने लगे। एक दिन मम्मी ने बहुत ही खुश हो कर बेटे से कहा-‘आज किताब पूरी हो गई।’
फिर क्या था,दोनों माँ-बेटे उस कहानी के अंत पर चर्चा करने लगे। किताब का नाम था ‘घाचर घोचर।’ मम्मी को कहानी,उसका प्रस्तुतिकरण बहुत पसंद आया। यह देखकर बेटा बहुत खुश हुआ।
बेटा खुद हमेशा अच्छी किताबें पढ़ता है। वह अंग्रेजी में लिखी किताबें पढ़ता है। किताबें किसी भी विषय की हों वैज्ञानिक,पर्यावरणीय,धार्मिक या फिर कोई उपन्यास हो,सभी को वह पूरी रुचि से पढ़ता है। उसकी सबसे अच्छी मित्र किताबें ही हैं। वो कभी भी बोर नहीं होता है। जहां भी जाता है, सबसे पहले अपने बैग में किताबें रखता है। और जो किताब उसे अच्छी लगती है,उसका हिन्दी अनुवाद खरीद कर वह अपनी माँ को उपहार में दे देता है। और समय-समय पर पूछता रहता है कि किताब पढ़ी कि नहीं? कईं बार वह सलाह भी देता है कि कौन-कौन-सी किताब पढ़ना चाहिए ।
इस तरह आज उस माँ को किताबें पढ़ने का शौक हो गया। अभी तक तो बेटा ही माँ का अच्छा मित्र था,अब किताबें भी माँ की अच्छी मित्र हो गई।

परिचयडॉ.पूर्णिमा मण्डलोई का जन्म १० जून १९६७ को हुआ है। आपने एम.एस.सी.(प्राणी शास्त्र),एम.ए.(हिन्दी) व एम.एड. के बाद पी-एच. डी. की उपाधि(शिक्षा) प्राप्त की है। डॉ. मण्डलोई मध्यप्रदेश के इंदौर स्थित सुखलिया में निवासरत हैं। आपने १९९२ से शिक्षा विभाग में सतत अध्यापन कार्य करते हुए विद्यार्थियों को पाठय सहगामी गतिविधियों में मार्गदर्शन देकर राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर सफलता दिलाई है। विज्ञान विषय पर अनेक कार्यशाला-स्पर्धाओं में सहभागिता करके पुरस्कार प्राप्त किए हैं। २०१० में राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान (जबलपुर) एवं मध्यप्रदेश विज्ञान परिषद(भोपाल) द्वारा विज्ञान नवाचार पुरस्कार एवं २५ हजार की राशि से आपको सम्मानित किया गया हैL वर्तमान में आप सरकारी विद्यालय में व्याख्याता के रुप में सेवारत हैंL कई वर्ष से लेखन कार्य के चलते विद्यालय सहित अन्य तथा शोध संबधी पत्र-पत्रिकाओं में लेख एवं कविता प्रकाशन जारी है। लेखनी का उद्देश्य लेखन कार्य से समाज में जन-जन तक अपनी बात को पहुंचाकर परिवर्तन लाना है।

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