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फाग संग-जीवन रंग

श्रीमती पूर्णिमा शर्मा पाठक
अजमेर (राजस्थान)
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फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष…

खिले फागुन संग जीवन के रंग,
आओ सखियों बज गए चंग
कान्हा आये राधे आई,
ललिता ने जी भर
धूम मचाई।
उद्धव ने रंग टेसू घोला और,
कान्हा से मुड़ कर यूँ बोला
ले लो कान्हा तुम ये,
स्वर्ण पिचकारी
सब सखियन
पर,सब रंगों में पड़ेगी भारी,
स्वर्णिम बनी मोतियन जड़ी है
इंद्रधनुषी रंगों से भरी है,
तुम सखियन पर रंग,
बरसाओ राधेजु को
खूब चिढ़ाओ,
फागुन संग॥

परिचय-पूर्णिमा शर्मा पाठक का बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। ‘साहित्य साधक २०१९ सम्मान’, गजेंद्र नारायण सिंह सम्मान २०१९(नेपाल),राष्ट्रीय भाषा गौरव २०१९ सम्मान,महाराज कृष्ण कुमार जैन स्मृति २०१९ (मेघालय) सम्मान सहित राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा मुख्य वक्ता प्रतिभागी सम्मान २०१९ जैसी १५ सम्मान- साहित्यिक उपलब्धियाँ आपको प्राप्त हुई हैं।
संप्रति से कार्यालय अधीक्षक (रेलवे)के पद पर कार्यरत पूर्णिमा शर्मा समाजसेवा एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में गहन रुचि रखती हैं। आप विभिन्न संस्थाओं में भी पदों पर सक्रिय हैं।

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