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कोरोना:टीका राजनीति का औचित्य क्या!

अजय बोकिल
भोपाल(मध्यप्रदेश) 

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भारत सरकार द्वारा २ कोरोना टीकों को दी गई आपाती इस्तेमाल की मंजूरी पर विपक्षी दलों द्वारा की जा रही राजनीति का कोई औचित्य नहीं जान पड़ता,सिवाय इस आशंका के कि कहीं मोदी सरकार इसका भी राजनीतिक फायदा न उठा ले। दोनों टीकों को स्वीकृति के १ दिन पहले ही पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि वो टीका नहीं लगवाएंगे,क्योंकि उनका भाजपा के कोरोना टीका पर भरोसा नहीं है। इस बयान का समर्थन करते हुए कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि विपक्ष को इस सरकार की मंशा पर भरोसा नहीं है। कांग्रेस के २ बड़े नेताओं ने सवाल उठाए कि दोनों टीकों को जल्दबाजी में और पूरे परीक्षण के बगैर ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया (डीसीजीए)द्वारा मंजूरी दी गई है,जो घातक हो सकती है। भाजपा ने कहा कि विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे सवाल देश के वैज्ञानिकों का अपमान है। यह अफवाह भी फैली कि,स्वीकृत टीके नंपुसकता का कारण बन सकते हैं,जिसे डीसीजीए ने सिरे से खारिज कर दियाl उधर,प्रधानमंत्री ने भारत में तैयार २ टीकों पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह देश के वैज्ञानिकों की बड़ी उपलब्धि है।

चूंकि,हमारे देश में किसी भी मुद्दे पर राजनीति हो सकती है,इसलिए टीका उससे बचा रहे,यह नामुमकिन ही है। इसकी शुरूआत भी खुद भाजपा ने ही बिहार विधानसभा चुनाव में राज्य में ‘मुफ्त टीकाकरण’ का वादा करके की। तब विपक्षी दलों का आरोप था कि भाजपा प्रलोभन देकर लोगों से मत पाना चाहती है। उसके बाद मप्र सहित कई राज्यों ने ताबड़तोड़ तरीके से अपने-अपने राज्यों में नागरिकों के मुफ्त टीकों के वादे कर डाले। इस बीच यह असमंजस भी फैला कि,सरकार सभी को मुफ्त टीका नहीं लगाएगी। हालांकि,अब सरकार कह रही है कि,टीका सभी को मुफ्त मिलेगा,लेकिन चरणबद्ध तरीके से।

यहां खास बात यह है कि,डीसीजीए ने इन २ टीकों को आपात इस्तेमाल की स्वीकृ‍ति दी है। अर्थात आपातकाल में ही इन टीकों का उपयोग किया जा सकता है। तकनीकी तौर पर आपातकालीन मंजूरी एक तरह की अंतरिम स्वीकृति है। चूंकि,टीका बनाना और उनके पूरी तरह सफल संतुष्टिकारक होने तक चलने वाले चरणबद्ध परीक्षण एक लंबी प्रक्रिया है। ऐसे में सरकारें कुछ टीकों को बुनियादी शर्तें पूरी करने के बाद आपातकालीन मंजूरी देती है कि,विशिष्ट और अत्यंत गंभीर स्थिति में इनका प्रयोग किया जा सकता है। यह स्वीकृति भी एक निश्चित प्रक्रिया और संतुष्टि के बाद ही ‍मिलती है। इस बीच अंतिम परीक्षण सफल होने तक टीका परीक्षण प्रक्रिया जारी रहेगी और उनके नतीजों की डीसीजीए समीक्षा करेगा। सभी मानदंडों पर खरी उतरने के बाद दोनों टीकों को पूरी मंजूरी‍ मिलेगी।

वैसे भी,टीके के मामले में तो परीक्षण के हर चरण के बाद स्वीकृति लेनी होती है,लेकिन विपक्षी दलों ने अभी से हल्ला मचाना और उसे भाजपा का टीका बताने का जो उपक्रम शुरू किया है,वह समझ से परे है। जो हो रहा है,वह अर्द्ध सत्य का खेल ज्यादा है। इसमें परोक्ष रूप से श्रेय लेने की भी जल्दी है,और किसी को श्रेय न लेने देने की राजनीतिक जल्दबाजी भी है। शायद इसीलिए टीके को मंजूरी मिलने से पहले उत्तर प्रदेश के सपा नेता अखिलेश यादव ने भाजपा पर तंज कसा कि जो सरकार ताली और थाली बजवा रही थी,वो टीकाकरण के लिए इतनी बड़ी चेन क्यों बनवा रही है ? जब हमारी सरकार बनेगी,तो सभी को मुफ्त टीका मिलेगा। कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि केन्द्र सरकार सीबीआई,आईबी,ईडी,इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का इस्तेमाल विपक्ष के खिलाफ कर रही है। इसमें टीका तो एक ऐसी चीज है,जिसका आम आदमी के साथ निश्चित तौर से इसका इस्तेमाल नहीं होगा,लेकिन विपक्ष के नेताओं को डर तो लगेगा क्योंकि ऐसे हाथों में सरकार है,जो देश के विपक्ष को या तो जेल में देखना चाहती है,या उनकी राजनीति खत्म करना चाहती है।

  इन टीकों के पूरी तरह कारगर साबित होने तक इस मामले में हमें डीसीजीए के बयान पर भरोसा करना चाहिए। दूसरे,दोनों टीकों को पूरी मंजूरी उनके अंतिम चरण के परीक्षण सफल होने के बाद ही मिलेगी,तब तक धैर्य तो रखना होगा। दूसरे,यह कोई भाजपा कार्यकर्ताओं ने या दल की फैक्ट्री में नहीं बन रही है। टीका विशेषज्ञ ही बना रहे हैं। उसकी निश्चित प्रक्रिया है। अगर उसका पालन नहीं होगा तो ऐसी वैक्सीन पर दस सवाल उठेंगे। चीन के मामले में हम देख रहे हैं कि,दुनिया को भरोसा नहीं हो रहा है,क्योंकि उसे बनाने की प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव है।

रहा सवाल इस टीके के तैयार करने का राजनीतिक श्रेय लेने का तो,यह बात बिल्कुल साफ है कि यदि स्वीकृत टीका पूरी तरह कारगर साबित हुआ तो देश में भाजपा को इसका राजनीतिक फायदा अपने-आप मिलेगा और इस श्रेय को अपने खाते में लिखवा सकने वाला प्रभावी तंत्र भी उसके पास है। इसके साथ जोखिम भी है कि,खुदा-न-खास्ता सभी मानदंडों पर खरा न उतरा तो बदनामी का ठीकरा भी सरकार के सिर ही फूटेगा। इसलिए,कोरोना टीके पर कोई राजनीति की भी जा रही है,तो बहुत सावधानी से की जानी चाहिए,क्योंकि कोरोना टीका महज करोड़ों खुराक की खरीदी या उसे लगवाकर सियासी सेहरा बांधने का खेल भर नहीं है,यह पूरे देश के नागरिकों की सेहत से जुड़ा सवाल है,जो श्रेय लेने अथवा न लेने देने की राजनीति से कहीं बड़ा है।

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