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नाराज़गी

मधु मिश्रा
नुआपाड़ा(ओडिशा)
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माँ जी,रॉकी ने सुबह से कुछ नहीं खाया है,और अभी दोपहर होने को आई,वो खाने की तरफ़ तो देख ही नहीं रहा हैl ऐसा तो कभी नहीं हुआ,क्या हो गया उसको! थोड़ा देखो न...! काम वाली बाई कमला ने घबराकर अपनी मालकिन से कहाl
अरे,भूख लगेगी तो खाएगा न,रहने दो उसके सामनेl तू तो बेवज़ह ही परेशान हो जाती है! सुमित्रा जी ने कमला की बातों का बेपरवाही से जवाब दिया, और अपने पोते के साथ खेलने लगी,जो बेटे की शादी के ७ साल बाद हुआ है-आले...मेला...लाजा...मेला शोना...मेरा बच्चा...!
जबसे घर में ये नया मेहमान आया है,सुमित्रा जी के घर में तो जैसे दीवाली आ गई हैl उनके घर बधाइयों का तांता लगा हुआ है…हर समय घर में चहल- पहल मची रहती है…l कोई मिठाई लेकर आ रहा है,तो कोई खिलौने…l रंग-बिरंगे ख़ूबसूरत कपड़ों का तो ढेर लग गया है,और अब पूरा घर तो इस नए मेहमान के स्वागत में ही व्यस्त हो गया है!
दूसरे दिन जब फ़िर कमला काम करने आई तो, उसने देखा कि,रॉकी आज भी चुपचाप ही एक जगह पर बैठा हुआ है,और उसका कल का खाना भी ज्यों का त्यों ही पड़ा हुआ हैl ये देख कर तो वो परेशान हो गई और घबरा कर अब सीधे श्रुति (बहू) से जाकर बोली-भाभी,भैया को थोड़ा फ़ोन लगाओ तो,कब आएंगे वो! रॉकी को २ दिन हो गए,खाना ही नहीं खा रहा है...! कमला ने चिंतित होकर कहाl
ये सुनकर श्रुति ने तुरंत पति (विपुल) से फ़ोन लगाकर जब ये बात कही तो,विपुल ने तुरंत कहा-ये लोग (कुत्ते) भी सब समझते हैं श्रुति! तुम पता करो, ज़रूर किसी ने उससे कुछ कहा होगाl मैं तो कल आऊँगा,और वो दो दिन से कुछ खाया नहीं है,क्या हाल होगा उसका! अभी तुरंत तुम उसके पास जाओ और प्यार से उसको समझाओ,देखना वो खा लेगा!
रॉकी की ये बात अब मम्मी तक...
तो वो अपने माथे पर बल देते हुए,कुछ याद करते हुए बोलीं-हाँ...हाँ,परसों वो बार-बार मेरे पास आ रहा था और बेटू मेरी गोद में था,इसलिए मैं ही उसको डांट दी थीl अरे,तो क्या वो इसी लिए खाना नहीं खा रहा है... कहते हुए वो तेज़ी से अब बच्चे को गोद में लिए ही रॉकी की तरफ़ लपकीं और उसके पास पहुँच कर उसके बालों को संवारते हुए बोलीं-`अरे,मेरा रॉकी गुस्सा हो गया क्या! तू तो हमारा प्यारा बच्चा है रे…रॉकी,जानते हो,अपने घर में न ये जो नया मेहमान आया है…जब ये बड़ा हो जाएगा न..तो तुम्हारे साथ ये भी बॉल खेलेगा…और तुम तो सबके प्यारे बच्चे हो..सॉरी,मैंने तुमको डांट दिया था..अब तो खाना खा लो..!’ सुमित्रा जी के ऐसा कहते ही रॉकी अब अपनी पूंछ हिलाते हुए…आँख से आँख मिलाकर देखने लगा,तो सुमित्रा जी की आँखें छलक गई। अब ये दृश्य देखकर श्रुति भी भावुक हो गयी…क्योंकि अब उसे …साफ़-साफ़ नज़र आ रहा था कि,प्यार भरी थपकी से रॉकी के सारे गिले-शिकवे दूर हो चुके हैं।

परिचय-श्रीमती मधु मिश्रा का बसेरा ओडिशा के जिला नुआपाड़ा स्थित कोमना में स्थाई रुप से है। जन्म १२ मई १९६६ को रायपुर(छत्तीसगढ़) में हुआ है। हिंदी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती मिश्रा ने एम.ए. (समाज शास्त्र-प्रावीण्य सूची में प्रथम)एवं एम.फ़िल.(समाज शास्त्र)की शिक्षा पाई है। कार्य क्षेत्र में गृहिणी हैं। इनकी लेखन विधा-कहानी, कविता,हाइकु व आलेख है। अमेरिका सहित भारत के कई दैनिक समाचार पत्रों में कहानी,लघुकथा व लेखों का २००१ से सतत् प्रकाशन जारी है। लघुकथा संग्रह में भी आपकी लघु कथा शामिल है, तो वेब जाल पर भी प्रकाशित हैं। अखिल भारतीय कहानी प्रतियोगिता में विमल स्मृति सम्मान(तृतीय स्थान)प्राप्त श्रीमती मधु मिश्रा की रचनाएँ साझा काव्य संकलन-अभ्युदय,भाव स्पंदन एवं साझा उपन्यास-बरनाली और लघुकथा संग्रह-लघुकथा संगम में आई हैं। इनकी उपलब्धि-श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान,भाव भूषण,वीणापाणि सम्मान तथा मार्तंड सम्मान मिलना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-अपने भावों को आकार देना है।पसन्दीदा लेखक-कहानी सम्राट मुंशी प्रेमचंद,महादेवी वर्मा हैं तो प्रेरणापुंज-सदैव परिवार का प्रोत्साहन रहा है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिन्दी मेरी मातृभाषा है,और मुझे लगता है कि मैं हिन्दी में सहजता से अपने भाव व्यक्त कर सकती हूँ,जबकि भारत को हिन्दुस्तान भी कहा जाता है,तो आवश्यकता है कि अधिकांश लोग हिन्दी में अपने भाव व्यक्त करें। अपने देश पर हमें गर्व होना चाहिए।”

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