रंजन कुमार प्रसाद
रोहतास(बिहार)
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काव्य संग्रह हम और तुम से
झील-से हैं नैन तेरे,
चाँद जैसा मुखड़ा है
अपने नैन झील में,
मुझे बसा लेना तू।
क्या करें तुम्हारे बिना,
नहीं रह पाते हम
कजरारी अँखियों में,
मुझे सजा लेना तू।
सलाखों से गुजरकर,
हवा जब आती है तो
प्यार हौले-हौले जरा,
मुझे कर लेना तू।
रुखसत-सी जिंदगी,
देखो हो गई है मेरी।
प्रेम रस घोल मुझे,
आकर पिला देना तू॥