कुल पृष्ठ दर्शन : 334

You are currently viewing न यूँ आजमाया करो

न यूँ आजमाया करो

कृष्ण कुमार कश्यप
गरियाबंद (छत्तीसगढ़)

**********************************************************************

(रचना शिल्प:२१२ २१२ २१२ २१२)


तुम मुझे देख कर मुस्कुराया करो।
इस तरह दिल में तुम आया जाया करो।

हम तुम्हारे हैं आशिक,नहीं बेवफा,
तुम हमेशा न यूँ आजमाया करो।

बस जमाने से मुझको मिली ठोकरें,
दिल न तुम भी मेरा यूँ दुखाया करो।

दूर होगा तिमिर देखना एक दिन,
दीप चाहत के गर तुम जलाया करो।

दिल न छोटा करो ग़म भले हो कोई,
लब पे मुस्कान हर पल सजाया करो।

ग़म में खोये ही रहना नहीं जिंदगी,
नींद ग़म की भी कुछ तो उड़ाया करो।

भूल जाएगा दुख अपने सब ‘सारथी’,
गीत तुम प्रेम के गर सुनाया करो॥

परिचय-कृष्ण कुमार कश्यप की जन्म तारीख १७ फरवरी १९७८ और जन्म स्थान-उरमाल है। वर्तमान में ग्राम-पोस्ट-सरगीगुड़ा,जिला-गरियाबंद (छत्तीसगढ़) में निवास है। हिंदी, छत्तीसगढ़ी,उड़िया भाषा जानने वाले श्री कश्यप की शिक्षा बी.ए. एवं डी.एड. है। कार्यक्षेत्र में शिक्षक (नौकरी)होकर सभी सामाजिक गतिविधियों में सहभागिता करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी और लघुकथा है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचना प्रकाशित है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में साहित्य ग़ौरव सम्मान-२०१९, अज्ञेय लघु कथाकार सम्मान-२०१९ प्रमुख हैं। आप कई साहित्यिक मंच से जुड़े हुए हैं। अब विशेष उपलब्धि प्राप्त करने की अभिलाषा रखने वाले कृष्ण कुमार कश्यप की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा को जन-जन तक पहुंचाना है। इनकी दृष्टि में पसंदीदा हिंदी लेखक- मुंशी प्रेमचंद हैं तो प्रेरणापुंज-नाना जी हैं। जीवन लक्ष्य-अच्छा साहित्यकार बनकर साहित्य की सेवा करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“मेरा भारत सबसे महान है। हिंदी भाषा उसकी शान है।”

Leave a Reply