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दोस्ती

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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दोस्त बनाए वही जो,सही राह दिखलाय।
बोले कड़वा वो भले,सदा सत्य बतलाय॥
सदा सत्य बतलाय,कभी भी झूठ न बोले।
लेवे सदा उबार,मित्र पर संकट डोले॥
कहता कवि नवनीत,सदा जो आन बचाए।
करता सच्ची प्रीत,दोस्त उसे ही बनाए॥

कृष्ण सुदामा की तरह,आपस में हो मित्र।
स्वार्थ नहीं जिसमें कहीं,दोनों बड़े विचित्र॥
दोनों बड़े विचित्र,रहे थे वे गुरु भाई।
मिला कृष्ण को राज्य,विप्र ने विपदा पाई॥
कहत नवल कविराय,करें वो रामा श्यामा।
है सबके आदर्श,मित्र श्री कृष्ण सुदामा॥

स्वार्थ कभी न रहे जहाँ,वहीं मित्रता होय।
करे स्वार्थवश मित्रता,मित्र नहीं वह सोय॥
मित्र नहीं वह सोय,कभी न किसी का होता।
रहता छल से पूर्ण,वह विश्वास भी खोता॥
कहता कवि करजोरि,सब करो सदा परमार्थ।
पाक मित्रता बीच,कभी भी न आए स्वार्थ॥

मित्र मिले सौभाग्य से,बिना मित्र सब सून।
जिसके अच्छे मित्र हैं,मन में खिले प्रसून॥
मन में खिले प्रसून,न कोई कष्ट सताते।
अवगुण होते दूर,सभी सद्गुण आ जाते॥
कहता कवि नवनीत,है दोस्ती बड़ी विचित्र।
करते स्वार्थ त्याग,जब बन जाते हैं मित्र॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बांदीकुई (राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी., साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘नवनीत’ है। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो 
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

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