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स्वप्न करें साकार

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’
जयपुर (राजस्थान)
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स्वप्न रहेंगे स्वप्न,अगर
तुम देख इन्हें ना जागोगे,
प्रस्तर तभी बनेंगे मूरत
जब तुम इन्हें तराशोगे।

पावन ध्येय,लगन हो सच्ची
हर बाधा मिट जाती है,
मिल जाती है दिशा लक्ष्य की
राह स्वतः बन जाती है,
मिले लक्ष्य,जब पथ के कण्टक
कुचल सभी तुम डालोगे।
प्रस्तर तभी बनेंगे मूरत,
जब तुम इन्हें तराशोगे॥

उठती लहरों से डरा जो,उसने
कब दरिया को पार किया,
ना जिसकी भुजा में बल,उसने
कब तूफां का प्रतिकार किया,
तरे कलंकुर से नौका,जब
बन पतवार संभालोगे।
प्रस्तर तभी बनेंगे मूरत,
जब तुम इन्हें तराशोगे॥

नभ छूने का स्वप्न देखते
पंख समेटे बैठे हो,
मेघ गर्जना से डर के
क्यों नीड़ में दुबके बैठे हो,
पार मेघ के जाओगे
जब प्राण परों में डालोगे।
प्रस्तर तभी बनेंगे मूरत,
जब तुम इन्हें तराशोगे॥

सुप्त देखता रहा सपन
उसने जीवन बेकार किया,
स्वप्न देख ना सोया,जो
उसने इनको साकार किया।
विस्तरित धरा पर ये होंगे,
जब श्रम ऊर्जा तुम डालोगे।
प्रस्तर तभी बनेंगे मूरत,
जब तुम इन्हें तराशोगे॥

स्वप्न रहेंगे स्वप्न,अगर
तुम देख इन्हें ना जागोगे,
प्रस्तर तभी बनेंगे मूरत, –
जब तुम इन्हें तराशोगे॥

परिचय-निर्मल कुमार शर्मा का वर्तमान निवास जयपुर (राजस्थान)और स्थाई बीकानेर (राजस्थान) में है। साहित्यिक उपनाम से चर्चित ‘निर्मल’ का जन्म १२ सितम्बर १९६४ एवं जन्म स्थान बीकानेर(राजस्थान) है। आपने स्नातक तक की शिक्षा (सिविल अभियांत्रिकी) प्राप्त की है। कार्य क्षेत्र-उत्तर पश्चिम रेलवे(उप मुख्य अभियंता) है।सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आपकी साहित्यिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भागीदारी है। हिंदी, अंग्रेजी,राजस्थानी और उर्दू (लिपि नहीं)भाषा ज्ञान रखने वाले निर्मल शर्मा के नाम प्रकाशन में जान्ह्वी(हिंदी काव्य संग्रह) और निरमल वाणी (राजस्थानी काव्य संग्रह)है। प्राप्त सम्मान में रेल मंत्रालय द्वारा मैथिली शरण गुप्त पुरस्कार प्रमुख है। आप ब्लॉग पर भी लिखते हैं। विशेष उपलब्धि में  स्काउटिंग में राष्ट्रपति से पुरस्कार प्राप्त ‘विजय रत्न’ पुरस्कार,रेलवे का सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त, दूरदर्शन पर सीधे प्रसारण में सृजन के संबंध में साक्षात्कार,स्व रचित-संगीतबद्ध व स्वयं के गाये भजनों का संस्कार व सत्संग चैनल से प्रसारण है। स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन होता रहता है। लेखनी का उद्देश्य- साहित्य व समाज सेवा है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-प्रकृति व समाज है। विशेषज्ञता में स्वयं को विद्यार्थी मानने वाले श्री शर्मा की रूचि-लेखन,गायन तथा समाज सेवा में है।

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