कुल पृष्ठ दर्शन : 245

जिस दिन सब्र का बांध…

संजय जैन 
मुम्बई(महाराष्ट्र)

********************************************


बहुत दर्द दफन है,
लोगों के दिलों में
कर नहीं सकते कुछ,
इसलिए सभी मौन हैं।
कब तक दर्द के साथ,
लोग जिंदगी जीएंगे ?
जिस दिन सब्र का,
बांध टूट जाएगा।
उसी दिन भारत का नक्शा,
पूरी तरह बदल जाएगा॥

आज तक ऊपर वालों,
और नीचे वालों को दिया
पर मध्यम वर्ग वालों से,
तो हरदम लिया।
पर आज तक किसी ने,
उनके लिए कुछ नहीं दिया
जबकि सबसे ज्यादा कष्ट,
इन्ही करदाताओं को है॥

इनकी बदनसीबी तो देखो,
इतना कर देकर भी
सरकार की किसी भी,
योजना में नहीं आते हैं।
परन्तु इनके कर से,
ही देश चलता है
और इनका नाम कहीं,
पर भी नहीं आता है।
जबकि हुकूमत इन्हीं के,
पैसे से चलाई जा रही है॥

मध्यम वर्ग को ही होती है,
सबसे ज्यादा चिंताएं
इसलिए धन जोड़कर,
वो बैंकों में रखता है।
और अपने पैसे को बैंक,
बड़े-बड़े लोगों को देती है
पर आपके पैसे आपके लिए,
काम पड़ने पर नहीं मिलते हैंl॥

आपके पैसों से यश,
धनवान करते रहते हैं
और आराम से बैंकों का पैसा,
जो आपका है,खा जाते हैं।
और खुद को दिवालिया,
सिर्फ कागजों में करते हैं
पर हकीकत में आपको,
दिवालिया कर जाते हैं॥

परिचय–संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।

Leave a Reply