कुल पृष्ठ दर्शन : 322

सपनों में भी,दिखने लगे हैं

संजय जैन 
मुम्बई(महाराष्ट्र)

********************************************

मुझे मजा आता है,
तेरे चेहरे को देखना।
दिल खिलता जाता है,
तुम्हें मुस्कराते देख कर।
पता नहीं ये क्या है,
पर धड़कनें बढ़ा देता है।
और दिल में प्यार को,
निश्चित जगा देता है॥

सपनों में भी अब,
वो दिखने लगे हैं।
सोते-जागते भी सामने,
वो ही वो दिखते हैं।
तभी तो रातभर करवटें बदलकर,
बिना सोए गुजार रहे हैं।
ये प्यार है,या मोहब्बत उनसे,
जो बिना जाने-पहचाने जग गई॥

आँखों के मिलने मात्र से,
उनसे प्यार पनप रहा है।
दिलो-दिमाग पर एक नशा-सा,
छाए जा रहा है।
चेहरा उनका दिखने मात्र से,
दिल में तरंगें दौड़ जाती है।
और मेरे दिल की धड़कनें,
उनको पास बुलाती हैं॥

परिचय–संजय जैन बीना (जिला सागर, मध्यप्रदेश) के रहने वाले हैं। वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। आपकी जन्म तारीख १९ नवम्बर १९६५ और जन्मस्थल भी बीना ही है। करीब २५ साल से बम्बई में निजी संस्थान में व्यवसायिक प्रबंधक के पद पर कार्यरत हैं। आपकी शिक्षा वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ ही निर्यात प्रबंधन की भी शैक्षणिक योग्यता है। संजय जैन को बचपन से ही लिखना-पढ़ने का बहुत शौक था,इसलिए लेखन में सक्रिय हैं। आपकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। अपनी लेखनी का कमाल कई मंचों पर भी दिखाने के करण कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इनको सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के एक प्रसिद्ध अखबार में ब्लॉग भी लिखते हैं। लिखने के शौक के कारण आप सामाजिक गतिविधियों और संस्थाओं में भी हमेशा सक्रिय हैं। लिखने का उद्देश्य मन का शौक और हिंदी को प्रचारित करना है।

Leave a Reply