बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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चन्दन-
चन्दन माथे साज के,पंडित बने महान।
ढोंगी पाखण्डी बने,देखो तो इंसान॥
अग्निपथ-
वीर चले हैं अग्निपथ,होने को बलिदान।
भारत की रक्षा किये,देखो आज महान॥
अहंकार-
अहंकार करना नहीं,इससे घटता मान।
ये तो दुश्मन आपका,छोड़ इसे नादान॥
दीपक-
घर का दीपक है तनय,बेटी कुल की शान।
इज्जत मर्यादा रखे,दोनों मिल अभिमान॥
चाशनी-
डाल जलेबी चाशनी,मिलकर खाये आज।
बड़े मजे से फिर सभी,करे काम आगाज॥
अनुभव-
अनुभव अपना ये रहा,बीते बचपन यार।
कुछ खट्टे-मीठे रहा,जीवन के दिन चार॥
नैराश्य-
मत होना नैराश्य तू,करना अपना काम।
लगे सफलता हाथ फिर,लाभ मिले अविराम॥
प्रतिकार-
मत करना प्रतिकार तू,भाई-भाई साथ।
मिलकर रहना है सभी,दे हाथों में हाथ॥
मधुप-
फूलों पर मँडरा रहा,देख बहारें छाय।
रस चूसन को ये मधुप,उड़-उड़ बगिया आय॥
जलधि-
चले नाव हैं जग जलधि,खेवत पालनहार।
भव से करने पार हैं,मानव तन अवतार॥