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ख़ालीपन

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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कैसा बरपा,
कहर वबा का ?
सूना शहर,
सड़कें ख़ाली हैं।
हालत बुरी
मुफ़लिसों की देखो,
ख़ाली पेट और
ज़ेब ख़ाली है।
ख़ाली दिन है
रातें ख़ाली,
वक़्त का हर
लम्हा ख़ाली है।
ख़ाली आँखें
ख़ाली नींदें,
सपनों का
दामन ख़ाली है।
ख़ाली मन का
सूनापन है,
आशाओं का
दर्पण ख़ाली है।
भरी हथेली,
आड़ी-तिरछी
रेखाओं से,
ख़ाली हाथ
क़िस्मत ख़ाली हैll

परिचय-श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

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