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पलायन

निर्मल कुमार शर्मा  ‘निर्मल’
जयपुर (राजस्थान)
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फूट रहे हैं छाले,किन्तु
थकन नहीं है पाँवों में,
रचने वाले शहरों को-
सब लौट रहे हैं गाँवों में।

गाँव रहा लाचार हमेशा,
शहर स्वार्थी रहा सदा
आग उदर में सुलगी ऐसी,
गाँव,शहर में आ झुलसा
तृप्त शहर को तजा,
विवश हो,भूखे बच्चों,माँओं ने।
रचने वाले शहरों को-
सब लौट रहे हैं गाँवों में॥

अनल उगलता सूर्य,तप्त मग,
नहीं पादुकाएं पग में
शीश गठरिया,काँधे झोला,
नन्हों को थामे कर में
परिचारक शहर के,हुए त्रस्त,
इन शहर जनित ही घावों से।
रचने वाले शहरों को-
सब लौट रहे हैं गाँवों में॥

हैं साधन भी,सुविधाएं भी,
संवेदन,पर,मृतप्राय हुआ
है शासन भी,प्रशासन भी,
फिर गाँव क्यूँ यूँ असहाय हुआ
हुआ कृतघ्न वो शहर,जो,
बड़ा हुआ था इनकी बाँहों में।
रचने वाले शहरों को-
सब लौट रहे हैं गाँवों में॥

जिनके हाथों शहर ने अपना,
सुख,वैभव सब ओढ़ा है
है विडम्बना कैसी,शहर ने,
उनसे ही मुख मोड़ा है
स्वदेश के वासी हुए प्रवासी,
स्वारथ घुला हवाओं में।
रचने वाले शहरों को-
सब लौट रहे हैं गाँवों में॥

फूट रहे हैं छाले,किन्तु
थकन नहीं है पाँवों में,
रचने वाले शहरों को-
सब लौट रहे हैं गाँवों में॥


परिचय-निर्मल कुमार शर्मा का वर्तमान निवास जयपुर (राजस्थान)और स्थाई बीकानेर (राजस्थान) में है। साहित्यिक उपनाम से चर्चित ‘निर्मल’ का जन्म १२ सितम्बर १९६४ एवं जन्म स्थान बीकानेर(राजस्थान) है। आपने स्नातक तक की शिक्षा (सिविल अभियांत्रिकी) प्राप्त की है। कार्य क्षेत्र-उत्तर पश्चिम रेलवे(उप मुख्य अभियंता) है।सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आपकी साहित्यिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भागीदारी है। हिंदी, अंग्रेजी,राजस्थानी और उर्दू (लिपि नहीं)भाषा ज्ञान रखने वाले निर्मल शर्मा के नाम प्रकाशन में जान्ह्वी(हिंदी काव्य संग्रह) और निरमल वाणी (राजस्थानी काव्य संग्रह)है। प्राप्त सम्मान में रेल मंत्रालय द्वारा मैथिली शरण गुप्त पुरस्कार प्रमुख है। आप ब्लॉग पर भी लिखते हैं। विशेष उपलब्धि में  स्काउटिंग में राष्ट्रपति से पुरस्कार प्राप्त ‘विजय रत्न’ पुरस्कार,रेलवे का सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त, दूरदर्शन पर सीधे प्रसारण में सृजन के संबंध में साक्षात्कार,स्व रचित-संगीतबद्ध व स्वयं के गाये भजनों का संस्कार व सत्संग चैनल से प्रसारण है। स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन होता रहता है। लेखनी का उद्देश्य- साहित्य व समाज सेवा है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-प्रकृति व समाज है। विशेषज्ञता में स्वयं को विद्यार्थी मानने वाले श्री शर्मा की रूचि-लेखन,गायन तथा समाज सेवा में है।

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