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सभी मिल खेलें होली

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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होली के त्यौहार में,उड़े अबीर गुलाल।
रंगों की बौछार से,हुए चेहरे लाल॥
हुए चेहरे लाल,सभी मिल रंग लगाते।
खाते हैं पकवान,सभी ये पर्व मनाते॥
कहता कवि नवनीत,करे सब हँसी ठिठोली।
तन मन हो रंगीन,सभी मिल खेलें होली॥

दहन करे जब होलिका,दुर्गुण सभी जलाय।
अवगुण सारे भस्म हों,अच्छाई बच जाय॥
अच्छाई बच जाय,पावन पर्व है आया।
ख़ुशियाँ सभी मनाय,रंग बहार है लाया।।
कहता कवि करजोरि,झोली खुशियों से भरे।
दुःख दर्द मिट जाय,जब होलिका दहन करें॥

होली खेले राधिका,संग मदन गोपाल।
पिया रंग में हो गई,राधा भी बेहाल॥
राधा भी बेहाल,लगाए रंग प्यार का।
होली का त्यौहार,बदले रंग बहार का॥
कहता कवि करजोरि,बोले प्यार की बोली।
रंगों की बौछार,करे सब खेले होली॥

होली पावन पर्व पर,पीकर सारे भंग।
मस्ती में झूमे सभी,और बजाए चंग॥
और बजाए चंग,सभी मिल नाचे गाये।
भूल शत्रुता भाव,सभी को गले लगाये॥
कहता कवि नवनीत,लगे सूरत सब भोली।
फागुन का त्यौहार,आ गया पावन होली॥

पानी बहुत अमूल्य है,व्यर्थ न इसे गंवाय।
सूखी होली खेलकर,जल को सभी बचाय॥
जल को सभी बचाय,दे तिलक लगा संदेश।
रहें सब ही प्रसन्न,रहे नहीं कोई द्वेष॥
कहता कवि करजोरि, नही है इसका सानी।
प्रकृति बड़ी अनमोल,बडाअमूल्य है पानी॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा)डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बांदीकुई (राजस्थान) में जन्मे डॉ.सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी., साहित्याचार्य,शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ व्याख्यात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। आपका साहित्यिक उपनाम ‘नवनीत’ है। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो 
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’

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