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नारी

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’
लखीमपुर खीरी(उप्र)
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महिला दिवस स्पर्धा विशेष……

नारी भगिनी औ वधू,नारी नर की शक्ति,
नारी जननी पुत्रियां,बिन नारी जग रिक्त।

एक नारी जीवन में हर पल,
संघर्ष सदा करती रहती।
बचपन से वृद्धावस्था तक,
बस घुट-घुट कर जीती रहती।

वह इस दुनिया में आती जब,
पितु मस्तक रेखाएँ छाती।
निज नेह बांटकर अपनों को,
सबके दिल में है छा जाती।

आँगन में किलकारी भरकर,
सबके दुःख-दर्द चुरा लेती।
रखती हर पग है फूंक-फूंक,
निज-जन की मर्यादा सेती।

जीवन भर हर कठिनाई को,
बस हँसते-हँसते सह जाती।
जब माँ का आँगन छोड़ सदा,
अपने पति के घर को जाती।

स्वयं की समस्त इच्छाओं को,
निज अन्तर-मन में दफनाती।
जग में जब ‘मां’ का रुप धरे,
ममता का आँचल फैलाती।

फिर बन के तपस्या की मूरत,
उपकार अनेक वह करती।
अपनी इच्छाओं का स्वाहा,
कर्तव्य की बेदी में करती।

पति-पुत्र,पौत्र की सेवा में,
अपना जीवन अर्पित करती।
‘शिव’ अनुपम कृति ये ईश्वर की,
इसकी न कोई तुलना होती॥

परिचय- शिवेन्द्र मिश्र का साहित्यिक उपनाम ‘शिव’ है। १० अप्रैल १९८९ को सीतापुर(उप्र)में जन्मे शिवेन्द्र मिश्र का स्थाई व वर्तमान बसेरा मैगलगंज (खीरी,उप्र)में है। इन्हें हिन्दी व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। जिला-लखीमपुर खीरी निवासी शिवेन्द्र मिश्र ने परास्नातक (हिन्दी व अंग्रेजी साहित्य) तथा शिक्षा निष्णात् (एम.एड.)की पढ़ाई की है,इसलिए कार्यक्षेत्र-अध्यापक(निजी विद्यालय)का है। आपकी लेखन विधा-मुक्तक,दोहा व कुंडलिया है। इनकी रचनाएँ ५ सांझा संकलन(काव्य दर्पण,ज्ञान का प्रतीक व नई काव्यधारा आदि) में प्रकाशित हुई है। इसी तरह दैनिक समाचार पत्र व विभिन्न पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार देखें तो विशिष्ट रचना सम्मान,श्रेष्ठ दोहाकार सम्मान विशेष रुप से मिले हैं। श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा की सेवा करना है। आप पसंदीदा हिन्दी लेखक कुंडलियाकार श्री ठकुरैला व कुमार विश्वास को मानते हैं,जबकि कई श्रेष्ठ रचनाकारों को पढ़ कर सीखने का प्रयास करते हैं। विशेषज्ञता-दोहा और कुंडलिया केA अल्प ज्ञान की है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार (दोहा)-
‘हिन्दी मानस में बसी,हिन्दी से ही मान।
हिन्दी भाषा प्रेम की,हिन्दी से पहचान॥’

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