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पोषक सृजनहार भवानी

आचार्य गोपाल जी ‘आजाद अकेला बरबीघा वाले’
शेखपुरा(बिहार)
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महिला दिवस स्पर्धा विशेष……

प्रियतम हो तुम केन्द्र,हम धुरी,
मेरी कमी को दूर करती पूरी
तू है गौरव अभिमान हमारा,
मैं हूँ तेरी आँखों का तारा।

हे रत्नप्रिया कुमुदिनी कौमारी,
हे सुकुमार सुगंधे राजदुलारी
तुम स्वप्न सुंदरी मेरी प्रियतम,
खुशहाल रहे ‌जीवन मधुतम।

तू लेकर अपने विभिन्न रूप,
करती करतब तू अति अनूप।
जीवन की मधुरिम तेरी कहानी,
पालक पोषक सृजनहार भवानी॥

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