कुल पृष्ठ दर्शन : 197

You are currently viewing कोई भारतीय शब्द ढूंढिए जो सर्वत्र स्वीकार्य हो

कोई भारतीय शब्द ढूंढिए जो सर्वत्र स्वीकार्य हो

मुद्दा-वेबिनार बनाम अपने शब्द

डॉ. महावीर(नई दिल्ली)-

ई-संगोष्ठी का विचार सर्वथा उचित और व्यावहारिक है;छोटी-अल्पकालीन बैठकों के लिए ई-बैठक का उपयोग भी किया जा सकता हैl यद्यपि,लगता है वेबिनार शब्द काफी प्रचलन में आ गया है,फिर भी अभी देरी नहीं हुई हैl वर्तमान में भी ई-पाठशाला आदि कई शब्द स्वीकार किए जा चुके हैंl #हरिसिंह पाल-
कभी भी इलेक्ट्रिकल के लिए प्रयुक्त नहीं हुआ,यह सिर्फ इलैक्ट्रोनिक के लिए ही मान्य है। ई का प्रयोग संगोष्ठी आदि आयोजन के लिए उपयुक्त नहीं है। यदि आपको संजाल संगोष्ठी में आपत्ति है तो दूरस्थ संगोष्ठी पर विचार किया जा सकता है। दूरस्थ दूरी के लिए प्रयुक्त होता है। भारत में कभी घर बैठे पढ़ाई करने की पद्धति को पत्राचार पाठ्यक्रम कहा जाता था, कहीं उसे दूरवर्ती शिक्षा भी कहते थे। बाद में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय ने अमेरिकी पद्धति पर दूरस्थ शिक्षा का पीजी डिप्लोमा शुरू किया,जिस पर हिंदी में शब्द स्वीकार किया गया। दूरस्थ शिक्षा में वीडियो कांफ्रेंसिंग सहित आधुनिक सोशल मीडिया के अभिकरण शामिल हैं,से प्रतिभागात्मक शिक्षण एवं संवाद शामिल है। आप सभी विशेषज्ञ विद्वान हैं,इसलिए किसी भी शब्द के प्रयोग के लिए स्वतंत्र हैं। फिर भी हमें शब्द निर्माण की मानक प्रक्रिया भी ध्यान में रखने का प्रयास करना चाहिए।

डॉ. प्रतिभा सोलंकी(मप्र)-

ई-संगोष्ठी पर मैं भी सहमत हूँl

निर्देश निधि-

सबको यथायोग्य अभिवादनl मेरा तर्क तो ई-संगोष्ठी का ही ठीक हैl बोलने में आसान है वेबिनार,शायद इसलिए अधिक पसंद किया गया।

रमेश जोशी(अमेरिका)-

असमंजस और तनाव अभी शेष है। अंतिम रूप से क्या निर्णय हुआ ? वेबिनार को क्या कहा जाए ?

डॉ. अशोक कुमार तिवारी(दुबई)-

भारत में आज तक जितने वेबिनार मैंने किए हैं,अधिकतर में दबे-कुचले- प्रताड़ित हिन्दी शिक्षक-शिक्षिका वर्ग (आज के आधुनिक समय में भी तथाकथित अंग्रेंजी अधिकारियों द्वारा हर कदम पर जिनके साथ लगातार अन्याय किया जा रहा है।) को ही हिन्दी समस्याओं के लिए दोषी (और ये बातें वे करते हैं जिनके विभागों ने लगभग सत्तर सालों से देश में भ्रष्टाचार और लूट के कीर्तिमान स्थापित किए हैं।)ठहराया जा रहा है।

डॉ. राजेश्वर उनियाल-

अत्यंत खेदजनक बात है कि,हिंदी के मूर्धन्य विद्वान अभी तक ई और वेब का हिंदी पर्याय नहीं ढूंढ पा रहे हैं। अंततः हमारी मानसिकता अंग्रेजी के इर्द-गिर्द ही घूम रही है कि अगर अंग्रेजी में यह कहा जा रहा है तो इसको हिंदी में क्या कहेंगे। आल इंडिया रेडियो व टेलीविजन का हिंदीकरण अखिल भारतीय ध्वनितरंग वार्ता नहीं की गई थी,बल्कि हिंदी की आत्मा से आकाशवाणी,दूरदर्शन व प्रसार भारती जैसे शुद्ध और आकर्षक शब्द लिए गए थे,परंतु अगर हम ई व वेब नहीं लगाएंगे तो उच्च शिक्षित कैसे कहलाएंगे। इसलिए, बंधुओं अंग्रेजी का मोह छोड़ कर संस्कृत या कोई भारतीय शब्द ढूंढिए जो सर्वत्र स्वीकार्य हो सके। मैंने तो शब्द दिया था ‘नभवार्ता।’

डॉ.मञ्जरी पाण्डेय-

आदरणीय,चर्चा ई संगोष्ठी और वेबिनार की है। यूँ तो कोई आपत्ति नहीं, अन्यान्य शब्दों के प्रयोग से शब्द समृद्ध की श्रीवृद्धि ही होगी,परन्तु वेबिनार कहने से सेमिनार की तरह अंग्रेज़ीयत का आभास होता है। ई शब्द स्टेशन की तरह हिन्दी में शामिल हो गए हैं, इसीलिए ई-संगोष्ठी का प्रयोग बहुतायत से होना चाहिए। वैसे लोगों की मर्ज़ी,जो अच्छा लगे प्रयोग करने के लिए स्वतंत्र हैं।

बृजनन्द विश्वकर्मा(चेन्नई)-

मुझे लगता है कि,ई के प्रयोग का आधार ‘ई’ रहा होगा होगा,जो इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रोनिक का प्रथम अक्षर है। इलेक्ट्रिकल व इलेक्ट्रोनिक के उच्चारण में ह्रस्व (इ) आता है। यदि ‘इ’ रखा जाएगा तो यह अंग्रेजी में इसके समतुल्य ‘आई’ माना जाएगा,जो गलत होगा। अतः दीर्घ ‘ई’ ही ई मेल,ई पत्रिका ,ई संगोष्ठी अथवा ई गोष्ठी प्रयोग किया जाए तो ठीक रहेगा। यह तर्कसंगत भी है। बोलने, लिखने,ग्रहणशीलता व व्यापक उपयोग की दृष्टि से भी यह उचित जान पड़ता है।

(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन,मुंबई)

Leave a Reply