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हिंदी तेरी महिमा

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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हिंदी तेरी महिमा को,
कभी ना मैं भुलाऊँगा
तू तो है जीविका मेरी,
मैं तेरा गीत गाऊँगा।
हिंदी तेरी महिमा को…

रुप हैं अनेक तेरे,
अवधी,मगही,राजस्थानी
खड़ी बोली मन भाए,
चाहें सारे हिंदुस्तानी
तू ही तो पहचान है मेरी,
कैसे तुझे बिसराऊँगा।
हिंदी तेरी महिमा को…

हिंदी तेरी ममता में,
बहती शीतल धारा है
तेरी हर कविता में,
जीवन का सहारा है
कैसे मैं बताऊँ तुझे,
तेरे बिना जी ना पाऊँगा।
हिंदी तेरी महिमा को…

‘उमेश’ की लेखनी कहे,
जीवन तुम पर वारा है
पतवार टूट गई,
दिखता ना किनारा है
पार करो नैया मेरी,
बार-बार गुहराऊँगा।
हिंदी तेरी महिमा को,
कभी ना मैं भुलाऊँगा…॥

परिचय–उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं।अलकनंदा साहित्य सम्मान,गुलमोहर साहित्य सम्मान आदि प्राप्त करने वाले श्री यादव की पुस्तक ‘नकली मुस्कान'(कविता एवं कहानी संग्रह) प्रकाशित हो चुकी है। इनकी प्रसिद्ध कृतियों में -नकली मुस्कान,बरगद बाबा,नया बरगद बूढ़े साधु बाबा,हम तो शिक्षक हैं जी और गर्मी आई है आदि प्रमुख (पद्य एवं गद्य)हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

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