एस.के.कपूर ‘श्री हंस’
बरेली(उत्तरप्रदेश)
*********************************
अंधेरा है रात है जंग है पर हमको लड़नी है,
इस महामारी पर जीत हमें हासिल करनी है।
हिफाज़त से निकल कर आना दौर से बाहर-
जिंदगी सबकी सलामत भी हमको रखनी है॥
आँधी है-तूफान है और समय भी खराब है,
यही तो इस कुदरत का इम्तिहान नायाब है।
हम जख्म को नासूर नहीं बनने देंगें-
सब फिर सच होगा जो आज बस ख्वाब है॥
यह इक़ परीक्षा की घड़ी वक्त नहींअनुकूल है,
हौंसले और तेज़ करते रहो,समय नहीं माकूल है।
उम्मीद रखो मंजिल मिलेगी,बस सफर चलते रहो-
वही होती सच्ची सफलता,जब समय प्रतिकूल है॥
सुख का सूर्य उदय होगा,बस विश्वास रखिये,
‘कोरोना’ का दूर भय होगा,नहीं निराश रखिये।
रातों से जंग जीतेंगे तो फिर,सूरज से निकलेंगे-
संघर्ष से मन अभय होगा,बस ये आस रखिये॥