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हे! कलियुग के राम

डॉ.नीलिमा मिश्रा ‘नीलम’ 
इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश)

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हे! कलियुग के राम आज,जग में अवतारो।
मन के भीतर छिपे घोर,रावण को मारोll
गाँव-नगर में बजे नहीं,रावण का डंका।
करो लक्ष्य संधान हनू,अब लंका बारोll
हे! कलियुग के राम…

सोने के मृग घर-बाहर,सब घूम रहे हैं,
सीताओं की देह गंध,को सूंघ रहे हैं।
लक्षित रेखाएं खींचों,तुम अपनी सीता,
क़दम न रावण रख पाये,उसको संहारोll
हे! कलियुग के राम…

लुटे नहीं अब लाज किसी,के घर-आँगन की,
मंदोदरी उदास करे,चिंता रावण कीl
आज दशहरा पर्व मृत्यु,निश्चित उसकी है,
काम क्रोध मद लोभ गर्व,मत्सर को मारोl
हे! कलियुग के राम…

जले नहीं बेटी दहेज,की अब वेदी पर,
श्रम का मूल्य कृषक पाये,अपनी खेती पर।
मालिक और मज़दूर का,रिश्ता न्यारा हो,
सरकारों को हिम्मत से,मिलकर ललकारोl
हे! कलियुग के राम…

जाति-धर्म का भेद मिटे,ये आज ज़रूरी,
वोट बैंक क्यूँ बनना है,कैसी मजबूरी।
हे! मृग तुम पहचानो अब,कस्तूरी अपनी,
वोट डालने से पहले,तुम खूब विचारो।
हे! कलियुग के राम…

कुम्भकर्ण की नींद नहीं,सोएँ सरकारें,
मेघनाद से कोई भी,लछमन नहिं हारे।
नहीं अहिल्या कोई भी,पत्थर बन पाए,
आओ मेरे राम! उसे,तुम आकर तारोl
हे! कलियुग के राम…ll

परिचय-डॉ.नीलिमा मिश्रा का साहित्यिक नाम नीलम है। जन्म तारीख १७ अगस्त १९६२ एवं जन्म स्थान-इलाहाबाद है। वर्तमान में इलाहाबाद स्थित साउथ मलाका (उत्तर प्रदेश) बसी हुई हैं। स्थाई पता भी यही है। आप एम.ए. और पी-एच.डी. शिक्षित होकर केन्द्रीय विद्यालय (इलाहाबाद) में नौकरी में हैं। सामाजिक गतिविधि के निमित्त साहित्य मंचन की उपाध्यक्ष रहीं हैं। साथ ही अन्य संस्थाओं में सचिव और सदस्य भी हैं। इनकी लेखन विधा-सूफ़ियाना कलाम सहित ग़ज़ल,गीत कविता,लेख एवं हाइकु इत्यादि है। एपिग्रेफिकल सोसायटी आफ इंडिया सहित कई पत्र-पत्रिका में विशेष साक्षात्कार तथा इनकी रचनाओं का प्रकाशन हो चुका है। ब्लॉग पर भी लिखने वाली डॉ. मिश्रा की विशेष उपलब्धि-विश्व संस्कृत सम्मेलन (२०१५,बैंकाक-थाईलैंड)और कुम्भ मेले (प्रयाग) में आयोजित विश्व सम्मेलन में सहभागिता है। लेखनी का उद्देश्य-आत्म संतुष्टि और समाज में बदलाव लाना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-डॉ. कलीम कैसर हैं। इनकी विशेषज्ञता-ग़ज़ल लेखन में है,तो रुचि-गायन में रखती हैं। 

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