डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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शरद पूर्णिमा स्पर्धा विशेष…..

शरद ऋतु है आई,
तुम जीवन को है जी लो
आज करेगा चन्द्रमा,
अपनी सुंदर पूर्ण कलाओं
का प्रदर्शन।
उत्सव है आज नील गगन में,
ऊंघ रहे हैं तारे
सिहरन पैदा करते
हृदय में उनके उजियारे।
प्रिय धवल,
कनेर है फूलती आगमन
का गलीचा बिछाती,
करती आयी हैं प्रतीक्षा
इस अनझिप क्षण में,
तुम भी जी लो
यह अमृत रस पी लो।
महक उठेगा पूरा नभ मंडल,
आज आसमान में जब
होगी दीवाली,
स्वागत करेंगी रजनी
हाथों में लिए पुष्पमाल,
सभी आज अमृतत्व
को पा लेंगे।
मिट जाएगी कजरी,
आज वसुंधरा हँसती
हर्षित दिखती है,
अति आत्मीय प्रकृति
हमारे साथ हँसती-रोती है।
हमारी अनगिनत भूलों पर,
दण्ड हमें देती
इसके बाद भी प्रकृति,
जीवन देती है।
जीवन को पूर्ण बना लो,
आज शरद ऋतु है आई
आज से चाँद भी,
ठिठुरेगा,और तारे भी
किंचित यह संदेह नहीं कि,
इस ठिठुरन का उत्सव
है अनमोल।
पूर्ण बना लो जीवन को आज,
है शरद ऋतु आई॥
परिचय-डॉ. वंदना मिश्र का वर्तमान और स्थाई निवास मध्यप्रदेश के साहित्यिक जिले इन्दौर में है। उपनाम ‘मोहिनी’ से लेखन में सक्रिय डॉ. मिश्र की जन्म तारीख ४ अक्टूबर १९७२ और जन्म स्थान-भोपाल है। हिंदी का भाषा ज्ञान रखने वाली डॉ. मिश्र ने एम.ए. (हिन्दी),एम.फिल.(हिन्दी)व एम.एड.सहित पी-एच.डी. की शिक्षा ली है। आपका कार्य क्षेत्र-शिक्षण(नौकरी)है। लेखन विधा-कविता, लघुकथा और लेख है। आपकी रचनाओं का प्रकाशन कुछ पत्रिकाओं ओर समाचार पत्र में हुआ है। इनको ‘श्रेष्ठ शिक्षक’ सम्मान मिला है। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। लेखनी का उद्देश्य-समाज की वर्तमान पृष्ठभूमि पर लिखना और समझना है। अम्रता प्रीतम को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाली ‘मोहिनी’ के प्रेरणापुंज-कृष्ण हैं। आपकी विशेषज्ञता-दूसरों को मदद करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिन्दी की पताका पूरे विश्व में लहराए।” डॉ. मिश्र का जीवन लक्ष्य-अच्छी पुस्तकें लिखना है।