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गुजर

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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वक्त गुजरा है मेरा,मैं अभी नहीं गुजरा,
मेरी खुशियों,गमों को ले के साथ ये गुजरा।

इसने ही बनाये ये हालात मेरे अच्छे-बुरे,
आते-जाते हुए हालातों को भी ये ले गुजरा।

इसकी ही तर्ज पे बनते-बिगड़ते हैं रिश्ते,
रिश्तों को बना के यही रिश्ते तोड़कर गुजरा।

आता-जाता रहा ये साँसों की तरह मेरी,
कभी मगर ये मेरी साँस ले के ना गुजरा।

देन इसकी हयात ये उमर भी दी इसने,
कहने ये कभी नहीं देगा कि जिन्दगी ले गुजरा।

वक्त गुजरा है मेरा मैं अभी नहीं गुजरा,
मेरी खुशियों-गमों को ले के साथ ये गुजराll

परिचय-हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।

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