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हिंदी भाषा हीं स्वीकार है

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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हिंदी समृद्ध भाषा है,हिंदी उन्नत भाषा है,
भाषा के गुण हैहैं सभी,करते क्यों रार है।

सभी भाषा है सुंदर,बोली प्रेम समुंदर,
सबमें रस मिठास,नहीं तकरार है।

संस्कृत की पुत्री हिंदी,सभी बहनों में बड़ी,
खट्टी-मीठी प्यारी प्यारी,हमें अंगीकार है।

अंग्रेजी से नहीं रोष,उर्दू का नहीं है दोष,
जनता बोली हो एक,हिंदी ही स्वीकार है।

जिसे सिरमौर रखे,भाल तिलक-सी सजे,
अधिक जनता बोले,हिन्द गले हार है।

यद्यपि करे आपत्ति,है सनातन संस्कृति,
भाषा भारत भूमि के,वे खुद मुख्तार है।

आई है नई चलन,लिपि अंग्रेजी लेखन,
शब्द हिंदी के रहते,कॉन्वेंट जिम्मेदार है।

हिंदी शब्द हिंदी लिपि,आंग्ल ना कहती बुरी,
मोबाइल लेखकों ने,किया बंटाधार है॥

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