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हिन्दी-सी ज़िंदगी

रोशनी दीक्षित
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)
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हिंदी दिवस विशेष…..

हिन्दी-सी परिभाषित,होती है ज़िन्दगी।
भावों और विचारों को,लिखती-बोलती है ज़िन्दगी।

मनुष्य वर्ण, परिवार शब्द, समाज वाक्य,
और देश,किताब-सी होती है ज़िन्दगी।

किसी का गरीबी में आटा गीला,तो किसी की पांचों उँगलियाँ घी में।
मुहावरों से छुपे अर्थ-सी होती है ज़िन्दगी।

उपसर्ग बनने की होड़ में,प्रत्यय बन जाती, नित-नये विराम चिन्हों से नियमित
होती है ज़िन्दगी।

अनगिनत भावों को पत्र और दादी-नानी की यादों को,
कहानी में सँजोए होती है ज़िन्दगी।

रिश्तों की अलग-अलग परिभाषाओं की,
रसों और अलंकारों से श्रृंगारिक होती है ज़िन्दगी।

सच है,जीवन के स्वरों का,स्वादिष्ट व्यंजन बनाकर,
वर्णमाला में पिरोती होती है ज़िन्दगी।

विशेष्य से विशेषण,कविता से कहानी,
कभी गद्य तो कभी पद्य-सी परिभाषित होती है ज़िन्दगी॥

परिचय-रोशनी दीक्षित का जन्म १७ जनवरी १९८० को जबलपुर (मप्र)में हुआ है। वर्तमान बसेरा जिला बिलासपुर (छत्तीसगढ़) स्थित राजकिशोर नगर में है। स्नातक तक शिक्षित रोशनी दीक्षित ने एनटीटी सहित बी.एड. एवं हिंदी साहित्य से स्नातकोत्तर भी किया है। इनका कार्य क्षेत्र-शिक्षिका का है। लेखन विधा-कविता,कहानी,गज़ल है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी भाषा का प्रचार व विकास है।

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