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लेकर उम्मीद चली

श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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पूजा डाली ले के गौरा,चली चुपके-चुपके,
अम्मा-बाबा देखे ना,सखी के संग मिल के।

डाली भर बेलपत्र,ली है थाली भरी भांग,
लेकर उम्मीद चली है शिव भरेंगे मांग।

पार्वती तज दी है पूज्य पिता का देश,
गौरा चली गई अब अनजाने-से देश।

सज-धज के गौरा रानी चली है महादेव पूजे,
भाव विभोर हुई शिव में सन्मुख दिखे ना दूजे।

बजाओ सखी बजना खुश होंगे वरदानी,
सुनाओ सखी भजन,दर्शन देंगे शिवदानी।

अम्मा रोएं-बाबा रोएं,रोए कुल खानदान,
अम्मा ढूंढे-बाबा ढूंढे,ढूंढे सकल जहान।

सन्मुख आए नारदजी बोले-कहना मेरा मान,
पार्वती अब शिवमय हो गई इसे भी जान।

शिव को छोटा ना समझ शिव बड़े हैं गुणवान,
सब देवों में महादेव बड़े हैं उनमें गुणों की खान।

मन के भोले-भाले शंकर,वे है बड़े वरदानी,
जान सको तो जानो हिमगिरी मत बनो अज्ञानी।

धूमधाम से ब्याह रचा के शिव को गौरा दे दो,
तीनों लोक से हे हिमगिरी,तुम यश को ले लो॥

परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।

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