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मैं हिंद की बेटी हिंदी

प्रीति शर्मा `असीम`
नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)
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भारत के,
उज्जवल माथे की,
मैं ओजस्वी…बिंदी हूँ
मैं हिंद की बेटी…हिंदी हूँ।

संस्कृत,पाली,प्राकृत,अपभ्रंश की,
पीढ़ी-दर-पीढ़ी…सहेली हूँ
मैं जन-जन के,मन को छूने की,
एक सुरीली…सन्धि हूँ।
मैं मातृभाषा…हिंदी हूँ

मैं देवभाषा,
संस्कृत का आवाहन
राष्ट्रमान…हिंदी हूँ।
मैं हिंद की बेटी…हिंदी हूँ

पहचान हूँ हर,
हिन्दोस्तानी की…मैं
आन हूँ हर,
हिंदी साहित्य के
अगवानों की…मैं।

माँ,
बोली का मान हूँ…मैं
भारत की,
अनोखी शान हूँ…मैं
मुझको लेकर चलने वाले,
हिंदी लेखकों की जान हूँ…मैं।
मैं हिंद की बेटी…हिंदी हूँ।
मैं राष्ट्रभाषा…हिंदी हूँ

विश्व तिरंगा फैलाऊँगी,
मन-मन हिन्दी ले जाऊँगी
मन को तंरगित कर,
मधुर भाषा से।
हिंदी को,
विश्व मानचित्र पर
सजा कर आऊँगी॥

परिचय-प्रीति शर्मा का साहित्यिक उपनाम `असीम` हैL ३० सितम्बर १९७६ को हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर में अवतरित हुई प्रीति शर्मा का वर्तमान तथा स्थाई निवास नालागढ़(जिला सोलन,हिमाचल प्रदेश) हैL आपको हिन्दी,पंजाबी सहित अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हैL पूर्ण शिक्षा-बी.ए.(कला),एम.ए.(अर्थशास्त्र,हिन्दी) एवं बी.एड. भी किया है। कार्यक्षेत्र में गृहिणी `असीम` सामाजिक कार्यों में भी सहयोग करती हैंL इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी,निबंध तथा लेख है।सयुंक्त संग्रह-`आखर कुंज` सहित कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंL आपको लेखनी के लिए प्रंशसा-पत्र मिले हैंL सोशल मीडिया में भी सक्रिय प्रीति शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-प्रेरणार्थ हैL आपकी नजर में पसंदीदा हिन्दी लेखक-मैथिलीशरण गुप्त,जयशंकर प्रसाद,निराला,महादेवी वर्मा और पंत जी हैंL समस्त विश्व को प्रेरणापुंज माननेवाली `असीम` के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“यह हमारी आत्मा की आवाज़ है। यह प्रेम है,श्रद्धा का भाव है कि हम हिंदी हैं। अपनी भाषा का सम्मान ही स्वयं का सम्मान है।”

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