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भारत-चीन संबंध बनाम ‘रायचंद’

अशोक कुमार सेन ‘कुमार’
पाली(राजस्थान)
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व्हाट्सएप और फेसबुक यूनिवर्सिटी के धुंआधार विद्वान भारत-चीन संबंधों पर रणनीतिक विशेषज्ञ बन कर अपना ज्ञान बांट रहे हैं,तो मुझे भी लगा बहती गंगा में हाथ धो लेने में क्या हर्ज है ?
जमीनी हकीकत भले ही मुझे नहीं पता तो क्या हुआ! विदेश सचिव जयशंकर प्रसाद को सलाह तो दे ही सकता हूँ। रक्षा मंत्री को कड़ी निंदा और चीन को उसी की चीनी भाषा में जवाब देने में तनिक भी देरी नही करनी चाहिए थी। इतने दिन से चीनी भाषा ही तो सीख रहे थे। भले ही मैं कभी अपने गाँव और जिले से बाहर नहीं निकला,पर विश्व की ‘जिओ राजनीति’ मुझसे बेहतर कौन जान सकता है ? पेंगोंग झील,फिगर ४ और फिगर ८,गलवान घाटी,दौलत बैग ओल्डी…सब मुझे समाचार चैनल वालों ने बता-बता कर रटा दिया है। इस बहाने ‘कोरोना’ के मारक डरावने समाचार से राहत तो मिली। पगलाई मीडिया एक अभिनेता की मौत पर घड़ियाली आँसू बहा रही,पर २० शहीदों के नाम २४ घण्टे बाद तक नहीं जुट सकी। मुझे मीडिया की क्षमता पर तनिक भी संदेह नहीं,क्योंकि मेरे ज्ञान का स्त्रोत यही है। हाँ,चैनल सोच- समझ कर चुनना बाजार से सब्जी चुनकर लाने से दुरूह कार्य जरूर है।
बहरहाल,मेरी राय से कोई भले इत्तेफाक नहीं रखे,पर मुझे तो राय देनी ही पड़ती है। भले मेरे घर में मेरी पसंद की सब्ज़ी भी न बने, बीबी के सामने नहीं चलती तो क्या हुआ ? इसकी भड़ास मैं मोदी सरकार को कब-क्या करना और क्या नहीं करना चाहिए की सलाह देकर कर सकता हूँ। सीमित ज्ञान के आधार पर ही सही..पर युद्ध विशेषज्ञ की तरह चाय की थड़ी पर ज्ञान बघारते समय
जब सब लोग मेरी तारीफ करते हैं तो मेरा सीना ५७ इंच का हो जाता है। यह अलग बात है कि इंच टेप २० से शुरू होती है..१९ तक की चूहे चट कर गए थे…।

परिचय-अशोक कुमार सेन का उपनाम ‘कुमार’ है। जन्म तारीख ३ मई १९८२ तथा जन्म स्थान-निमाज (जिला-पाली)है। वर्तमान में स्थाई पता निमाज (पाली)ही है। हिन्दी,अंग्रेजी व राजस्थानी भाषा की जानकारी रखने वाले श्री सेन की शिक्षा- स्नातकोत्तर है। आपका कार्यक्षेत्र-राजकीय कर्मचारी(नौकरी) का है। इनकी लेखन विधा-लेख और कहानी है। कुमार ब्लॉग पर भी लिखते हैं। लेखनी का उद्देश्य-लेखनी से मानव कल्याण एवं राष्ट्रहित के मुद्दे उठाना है। श्री सेन के लिए प्रेरणा पुंज-डॉ.अब्दुल कलाम हैं। विशेषज्ञता-समसामयिक आलेखन है।

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