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जिंदगी का सफ़र

इलाश्री जायसवाल
नोएडा(उत्तरप्रदेश)

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कैसे यह ज़िन्दगी का सफ़र गया,
मंजिल कहीं खो गई,रास्ता भी सिमट गया।

तुझे सड़क के छोर पर खड़े देख,
मैंने कदम बढ़ा दिए
जब तलक पहुंची वहां,
तू दूर और चला गया।
मंजिल कहीं खो गई,रास्ता भी सिमट गया…॥

तुझे पाना मेरी चाहत थी,
मुझपे खुदा की रहमत थी
दिल की दुनिया आबाद करनी थी,
न जाने तू क्या समझ गया।
मंजिल कहीं खो गई,रास्ता भी सिमट गया…॥

तुझसे न कुछ मांगा था,
बस अपना प्यार लुटाया था
पर इस मोहब्बत की तूने न कदर की,
‘सस्ता है’ समझ मुकर गया।
मंजिल कहीं खो गई,रास्ता भी सिमट गया…॥

परिचय-इलाश्री जायसवाल का जन्म १९७८ में २५ जून को हुआ हैl अमरोहा में जन्मीं हैंl वर्तमान में नोएडा स्थित सेक्टर-६२ में निवासरत हैंl उत्तर प्रदेश से सम्बन्ध रखने वाली इलाश्री जायसवाल की शिक्षा-एम.ए.(हिंदी-स्वर्ण पदक प्राप्त) एवं बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-हिंदी अध्यापन हैl लेखन विधा-कविता,कहानी,लेख तथा मुक्तक आदि हैl इनकी रचनाओं का प्रकाशन विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं तथा पोर्टल पर भी हुआ हैl आपको राष्ट्रीय हिंदी निबंध लेखन प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार व काव्य रंगोली मातृत्व ममता सम्मान मिला हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी-साहित्य सेवा हैl इनके लिए जीवन में प्रेरणा पुंज-माता तथा पिता डॉ.कामता कमलेश(हिंदी प्राध्यापक एवं साहित्यकार)हैंl

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