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इश्क़

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’
मुंबई(महाराष्ट्र)
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काव्य संग्रह हम और तुम से….


दिल धड़कता इश्क़ से ही,इश्क़ से चलती है श्वांस,
इश्क से है लाल शोणित,इश्क जीवन की है प्यास।

इश्क़ रांझा-हीर का था,इश्क़ मजनूं ने किया,
इश्क़ मीरा ने किया था,और विष प्याला पिया।

इश्क़ राधा-कृष्ण का था,इश्क़ सीता-राम का,
इश्क़ में सोचा है किसने,इश्क़ के परिणाम का।

इश्क़ दिल की चाहतें हैं,इश्क़ मन के भाव हैं,
जो कभी भरते नहीं वे,इश्क़ ऐसे घाव हैं।

इश्क़ पतझड़ है अगर तो,इश्क़ सावन भी तो है,
इश्क़ है मन का मनोरथ,इश्क़ पावन भी तो है।

इश्क़ सागर की गहनता,इश्क़ दरिया धार है,
इश्क़ पथ है नेह का बस,इश्क़ ही तो प्यार है।

जो कभी जीवन में अपने,इश्क़ कर पाया नहीं,
इश्क़ का बैरी हुआ जो,इश्क़ कर पाया नहीं।

इश्क़ पूजा है हमारी,इश्क़ ही भगवान है।
इश्क़ ही जीवन है मेरा,इश्क़ मेरा प्रान है॥

परिचय-ओमप्रकाश अग्रवाल का साहित्यिक उपनाम ‘बबुआ’ है।आप लगभग सभी विधाओं (गीत, ग़ज़ल, दोहा, चौपाई, छंद आदि) में लिखते हैं,परन्तु काव्य सृजन के साहित्यिक व्याकरण की न कभी औपचारिक शिक्षा ली,न ही मात्रा विधान आदि का तकनीकी ज्ञान है।आप वर्तमान में मुंबई में स्थाई रूप से सपरिवार निवासरत हैं ,पर बैंगलोर में भी निवास है। आप संस्कार,परम्परा और मानवीय मूल्यों के प्रति सजग व आस्थावान तथा देश-धरा से अपने प्राणों से ज्यादा प्यार है। आपका मूल तो राजस्थान का झूंझनू जिला और मारवाड़ी वैश्य है,परन्तु लगभग ७० वर्ष पूर्व परिवार उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में आकर बस गया था। आपका जन्म १ जुलाई को १९६२ में प्रतापगढ़ में और शिक्षा दीक्षा-बी.कॉम.भी वहीं हुई है। आप ४० वर्ष से सतत लिख रहे हैं।काव्य आपका शौक है,पेशा नहीं,इसलिए यदा-कदा ही कवि मित्रों के विशेष अनुरोध पर मंचों पर जाते हैं। लगभग २००० से अधिक रचनाएं आपने लिखी होंगी,जिसमें से लगभग ७०० का शीघ्र ही पाँच खण्डों मे प्रकाशन होगा। स्थानीय स्तर पर आप कई बार सम्मानित और पुरस्कृत होते रहे हैं। आप आजीविका की दृष्टि से बैंगलोर की निजी बड़ी कम्पनी में विपणन प्रबंधक (वरिष्ठ) के पद पर कार्यरत हैं। कर्नाटक राज्य के बैंगलोर निवासी श्री अग्रवाल की रचनाएं प्रायः पत्र-पत्रिकाओं और काव्य पुस्तकों में प्रकाशित होती रहती हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जन चेतना है।

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