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देश को बचाने की जिम्मेदारी हम सबकी

डॉ. स्वयंभू शलभ
रक्सौल (बिहार)

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‘कोरोना’ के आँकड़े भी बढ़ते जा रहे हैं और जिंदगी जो ठहर-सी गई थी,धीमे-धीमे रफ्तार भी पकड़ने लगी है। कुछ कंटेनमेंट क्षेत्र को छोड़कर बाकी हर जगह लगभग सारी गतिविधियां शुरू होने लगी हैं।
जब कोरोना के मामले सैकड़ों में थे तो तालाबंदी लागू की गई,पर आज जब संक्रमण के मामले लाखों में हैं तो देश को लगभग पूरी तरह खोल दिया गया है।
सरकार का यह फैसला सोच समझकर लिया गया फैसला है। अगर तालाबंदी को और आगे बढ़ाया जाता तो रोज कमाने खाने वाले, छोटे व्यवसायी और अल्प आय वर्ग के लोगों की हालत और भी खराब हो जाती। जरूरी हो गया था कि धीरे-धीरे जनजीवन को पटरी पर लाया जाए।
ये कहना गलत नहीं होगा कि कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसे इस तालाबंदी में परेशानी न हुई हो। कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां जबरदस्त नुकसान न हुआ हो,लेकिन तालाबंदी के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था। सरकार के आगे लोगों की जान बचाने से बड़ी प्राथमिकता दूसरी नहीं हो सकती थी।
अब इस बात को ठीक से समझ लेना जरूरी है कि देश को कोरोना से बचाने की जिम्मेदारी केवल सरकार की नहीं,हम सबकी है। अब अपना ख्याल हमें खुद रखना होगा। वैसे भी हम महीनों से कोरोना के संक्रमण से बचने के तरीके सीख रहे हैं। अब यह हम पर है कि सरकार और चिकित्सकों द्वारा दिए गए सुरक्षा संबंधी दिशा-निर्देशों का समझदारी के साथ पालन कर खुद भी सुरक्षित रहें और अपने परिवार को भी सुरक्षित रखें…।

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