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श्रीकृष्ण स्तुति

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’
मुंबई(महाराष्ट्र)
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जन्माष्टमी विशेष……..

(तर्ज:भए प्रकट कृपाला दीनदयाला कौशल्या हितकारी)

भए प्रकट कन्हैया रास रचईया जनमन अति हर्षाए,
जसुमति प्यारे नन्द दुलारे सुरमुनि मंगल गाए।
चंदन तन साजे मुख तेज विराजे नैनन ज्योत सुहाई,
नूपुर पग बाजे कटिबंधन राजे पावन छवि मन भाई।
प्रभु अवतारी मुनिमन हारी केहि विधि करहुं बखाना,
सब आय मनावे मंगल गावे प्रभु आए सोई जाना।
माया को जाने को पहचाने लीला पार न पाई,
यमुना जो बाढ़ी विपदा गाढ़ी चरनन दिये छुवाई।
कलिकंस विदारे गिरिवर धारे मीरा के श्रीकंता,
माता जब आई दीन्ह दिखाई मुख में ब्रम्ह अनन्ता।
राधा बड़भागी प्रभु अनुरागी मधुवन रास रचाए,
त्रैलोक तिहारे ब्रम्ह सकारे वन वन गाय चराए।
हम अज्ञानी अति अभिमानी पूजन अर्चन कौन करे,
विपदा जब आई दीन्ह दुहाई शरण तिहारी आन परे।
करुणा सुखसागर गिरिधर नागर दीनबंधु सुखकारी,
बबुआ मनभावन मन अतिपावन लीजे शरण बिहारी॥

परिचय-ओमप्रकाश अग्रवाल का साहित्यिक उपनाम ‘बबुआ’ है।आप लगभग सभी विधाओं (गीत, ग़ज़ल, दोहा, चौपाई, छंद आदि) में लिखते हैं,परन्तु काव्य सृजन के साहित्यिक व्याकरण की न कभी औपचारिक शिक्षा ली,न ही मात्रा विधान आदि का तकनीकी ज्ञान है।आप वर्तमान में मुंबई में स्थाई रूप से सपरिवार निवासरत हैं ,पर बैंगलोर  में भी  निवास है। आप संस्कार,परम्परा और मानवीय मूल्यों के प्रति सजग व आस्थावान तथा देश-धरा से अपने प्राणों से ज्यादा प्यार है। आपका मूल तो राजस्थान का झूंझनू जिला और मारवाड़ी वैश्य है,परन्तु लगभग ७० वर्ष पूर्व परिवार उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में आकर बस गया था। आपका जन्म १ जुलाई को १९६२ में प्रतापगढ़ में और शिक्षा दीक्षा-बी.कॉम.भी वहीं हुई है। आप ४० वर्ष से सतत लिख रहे हैं।काव्य आपका शौक है,पेशा नहीं,इसलिए यदा-कदा ही कवि मित्रों के विशेष अनुरोध पर मंचों पर जाते हैं। लगभग २००० से अधिक रचनाएं आपने लिखी होंगी,जिसमें से लगभग ७०० का शीघ्र ही पाँच खण्डों मे प्रकाशन होगा। स्थानीय स्तर पर आप कई बार सम्मानित और पुरस्कृत होते रहे हैं। आप आजीविका की दृष्टि से बैंगलोर की निजी बड़ी कम्पनी में विपणन प्रबंधक (वरिष्ठ) के पद पर कार्यरत हैं। कर्नाटक राज्य के बैंगलोर निवासी श्री  अग्रवाल की रचनाएं प्रायः पत्र-पत्रिकाओं और काव्य पुस्तकों में  प्रकाशित होती रहती हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जन चेतना है।

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