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‘जलेस’ के मासिक रचना पाठ में कवियित्री पुष्पा रानी गर्ग ने सुनाई उत्कृष्ट कविताएं

इन्दौर(मप्र)।

जनवादी लेखक संघ मासिक के रचना पाठ-७६ में वरिष्ठ कवियित्री पुष्पा रानी गर्ग ने कविता पाठ किया। उन्होंने दिवस शिशिर का,सुनियोजित,ईसा अभी भी जिंदा है,पथराई-सी देह,औरत गर्भवती है,काम पर जाती लड़की और बावजूद इसके आदि कविताओं व गीतों का पाठ किया। उनकी कविताओं की कुछ पंक्तियाँ काफी सराही गई।
इस कार्यक्रम में इन कविताओं पर चर्चा करते हुए सुरेश उपाध्याय ने कहा कि यह कविताएँ कवि की कविता की विविधता की एक छवि हमारे सामने बनाती है,जिनमें प्रकृति,स्त्री और समाज के अन्य विषयों पर कविताएँ हैं। अलकनंदा साने ने कहा कि इनमें छोटी कविताएँ बेहतर हैं,बड़ी कविताओं में कथा की अनुभूति होती है। विभा दुबे व राजेश ब्रह्मवेद ने इन कविताओं को सराहा तो देवेन्द्र रिणवा ने इनकी विषय वस्तु की विविधता पर चर्चा की। यहां-
“अंधेरे का हर काम उजाले में
और उजाले का हर काम अंधेरे में
अब सहजता से किया जा सकता है।” (सुनियोजित)
“मेह बरसे रजधानी में
मुर्गी मर गई पानी में
कागज़ पर बन रहे मदरसे
शिक्षा बह गई पानी में।”
(पानी पर गीत) आदि को पुष्पा रानी गर्ग ने प्रस्तुत किया।
आनन्द व्यास ने कविताओं को अच्छा बताते हुए कहा कि छोटी कविताएँ अपेक्षाकृत बेहतर हैं। परेश टोककर व चुन्नीलाल वाधवानी ने ‘पानी पर’ गीत पर चर्चा करते हुए कहा कि यह गीत हमारे समय को बहुत अच्छे तरीके से उभारता है। वरिष्ठ कवि प्रदीप कान्त ने कहा कि यह एक संवेदनशील कवि की कविताएँ हैं। अंत में प्रदीप मिश्र ने इन कविताओं की कई पंक्तियों को रेखांकित किया जो श्रोता को कचोटती हैं और अच्छी कविताओं के लिए बधाई दी।
संचालन रजनी रमण शर्मा ने किया। आभार देवेन्द्र रिणवा ने माना।

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