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जिंदगी ठहर गई…

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’ 
गोरखपुर(उत्तर प्रदेश)

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जिंदगी ठहर गई है यादों में रह गई है,
खुशियाँ जिंदगी अब भी खुशकिस्मत को मयस्सर आम इंसान के ख्वाबों में बस गई है।
सुबह सड़क पे निगलना बाँहों में बाँहें डाल कर टहलना,
बाज़ार की रौनक,शॉपिंग माल,नाइट का डिनर बस बात की बात रह गई है।

पार्टियों का दौर,गीत-गाने का शोर,
वन्स मोर-वन्स मोर,थम गई है जिंदगी बोर हो गई है।

काटे नहीं कटता जिंदगी का लम्हा लम्हा चाँद-सा प्यारा चेहरा,
ना बचा है जोश जश्न का गुमान जिंदगी अब बोझ बन गई है।

घर था एक मंदिर प्यार परवरिश की थी दीवारें,
अब शोला और चिंगारी-सी लगने लगी है।

घर में ही आदमी अब कैद हो गया है,
जिन्दगी अब बेजान बेजार हो गई है।
घर पर साथ बैठ चाय की चुस्कियों पे गप्पे लड़ाना,
घर में ही एक-दूजे से हो गए बेगाना।
जवाँ जिंदगी के जज्बे जज्बात हो गए हैं गायब,
सूरज निकलने के साथ ही शाम हो गई है।
बंद हुई महफिलें गीत,ग़ज़लें शहनाई और रस्में,
जिंदगी बस अदायगी रस्म रह गई है।
हर शाम शौहर के इंतज़ार में सजना-सँवरना,
प्यार दिल में है,जिंदगी दूरियों के दरमियान सिमट गई है।

आईने को भी अरमानों की उम्मीद का मायूस चेहरा,
देखते देखते ऊबन-सी हो गई है।
नज़रों का नूर बेनूर हो गयी है जिंदगी,इसी सिलसिले को जज्ब कर रही है,
जिंदगी अब खुदा कायनात की मोहताज़ मयस्सर हो गई है।

टूट रहा इंसान का गुरुर,
जूनून जिंदगी अब खुदाई करिश्मे की आस रह गई है।

शायद फिर आए चमन में बहार मौसम खुशगवार,गुलशन हो गुलज़ार,
वक्त के हाथ मजबूर है इंसान वक्त के ही इंतज़ार में जिंदगी कट रही है।

यकीन की इबादत,इंतज़ार की जिंदगी रह गई है,
कहर का क़ुफ़्त दहशत लम्हा दिन-रात जिंदगी वीरान आदत-सी हो गई है॥

परिचय–एन.एल.एम. त्रिपाठी का पूरा नाम नंदलाल मणी त्रिपाठी एवं साहित्यिक उपनाम पीताम्बर है। इनकी जन्मतिथि १० जनवरी १९६२ एवं जन्म स्थान-गोरखपुर है। आपका वर्तमान और स्थाई निवास गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) में ही है। हिंदी,संस्कृत,अंग्रेजी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री त्रिपाठी की पूर्ण शिक्षा-परास्नातक हैl कार्यक्षेत्र-प्राचार्य(सरकारी बीमा प्रशिक्षण संस्थान) है। सामाजिक गतिविधि के निमित्त युवा संवर्धन,बेटी बचाओ आंदोलन,महिला सशक्तिकरण विकलांग और अक्षम लोगों के लिए प्रभावी परिणाम परक सहयोग करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,नाटक,उपन्यास और कहानी है। प्रकाशन में आपके खाते में-अधूरा इंसान (उपन्यास),उड़ान का पक्षी,रिश्ते जीवन के(काव्य संग्रह)है तो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-भारतीय धर्म दर्शन अध्ययन है। लेखनी का उद्देश्य-समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-पूज्य माता-पिता,दादा और पूज्य डॉ. हरिवंशराय बच्चन हैं। विशेषज्ञता-सभी विषयों में स्नातकोत्तर तक शिक्षा दे सकने की क्षमता है।
अनपढ़ औरत पढ़ ना सकी फिर भी,
दुनिया में जो कर सकती सब-कुछ।
जीवन के सत्य-सार्थकता की खातिर जीवन भर करती बहुत कुछ,
पर्यावरण स्वच्छ हो,प्रदूषण मुक्त हो जीवन अनमोल हो।
संकल्प यही लिए जीवन का,
हड्डियों की ताकत से लम्हा-लम्हा चल रही हूँ।
मेरी बूढ़ी हड्डियां चिल्ला-चीख कर्,
जहाँ में गूँज-अनुगूँज पैदा करने की कोशिश है कर रही,
बेटी पढ़ाओ,बेटी बचाओ,स्वच्छ राष्ट्र, समाज,
सुखी मजबूत राष्ट्र,समाज॥

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