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काश! जिंदगी एक किताब होती

बलराम प्रजापति’एंकर’
मनासा(मध्यप्रदेश)
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काश! जिंदगी एक किताब होती,
पढ़ सकता कि,आगे क्या होगा।
क्या पाऊंगा और क्या खो दूंगा,
कब खुशी मिलेगी कब रो दूंगा।
काश! जिंदगी एक किताब होती,
फाड़ सकता में उन लम्हों को
जिन्होंने कभी मुझे रुलाया है।
जोड़ता में कुछ ऐसे पन्नों को,
जिनकी यादों ने मुझे हँसाया है।
इतना तो में हिसाब लगा पाता,
कितना पाया-कितना खोया है।
काश! जिंदगी एक किताब होती,
आँखें चुराकर वक्त से पीछे चला जाता।
टूटे सपनों को फिर से सजाता,
कुछ पल में भी मुस्कुराता…
काश! जिंदगी एक किताब होती॥

परिचय- बलराम प्रजापति का साहित्यिक उपनाम-एंकर है। २ अप्रैल १९९३ को मनासा(मध्यप्रदेश) में जन्मे  एंकर का स्थाई और वर्तमान पता निवास ग्राम ढाकनी(तह.मनासा), जिला नीमच में है। भाषा ज्ञान-मातृभाषा हिंदी,संस्कृत सहित अंग्रेजी का है। मध्यप्रदेश में बसे हुए बलराम प्रजापति की शिक्षा-स्नातक(वाणिज्य, समाज कार्य)है। इनका कार्यक्षेत्र-समाजसेवी के रुप में नीमच और मनासा है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत प्रजापति समाज में पदाधिकारी का दायित्व निभाने के साथ ही असहाय गरीब-विशेष योग्यता वाले बच्चों के साथ विभिन्न गतिविधियां करना और प्रतिभा की पहचान कर उन्हें उचित सम्मान दिलाना आदि है। लेखन विधा-कहानी, कविता,लेख इत्यादि है। प्रकाशन में इनके खाते में ‘धरोहर-एक पहल’ संकलन( विमोचन ३ फरवरी २०१९) है। इन्हें प्राप्त सम्मान में ‘सक्रिय सदस्य’ सम्मान और शाइनिंग करियर प्रतिभा सम्मान २०१७ सहित जयपुर की सहित्यिक संस्था से प्राप्त सम्मान है। इनकी विशेष उपलब्धि-‘धरोहर’ की स्थापना एवं प्रकाशन है। एंकर की लेखनी का उद्देश्य-मातृभाषा का प्रचार-प्रसार करते हुए हिंदी के प्रति लोगों को जागरूक करना है। इनके पसंदीदा हिन्दी लेखक-हरिवंशराय बच्चन एवं मैथिलीशरण गुप्त हैं,जबकि प्रेरणापुंज-कवि दादु प्रजापति (साहित्य रत्न विभूषित) हैं। इनकी ओर से सबके लिए सन्देश-अपनी संस्कृति,अपने परिवेश,अपनी भाषा और संस्कारों को जीवित रखकर अपनी धरोहर की रक्षा करें।

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