पवन प्रजापति ‘पथिक’
पाली(राजस्थान)
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पांच वर्ष की चमकी आज बेहद खुश थी। आज वो पहली बार किसी को राखी बांधने वाली थी,वो भी अपने पड़ोस में रहने वाले रघु को। चमकी अपने माता-पिता की इकलौती सन्तान थी। उसका अपना कोई भाई न थाl राखी के दिन हर लड़की को राखी बांधते देख उसका भी मन होता था,लेकिन अपना कोई भाई नहीं होने के मन मसोस कर रह जाती। इस राखी वो रघु को राखी बांधने की जिद कर बैठी तो माँ ने भी हाँ कर दी। रघु यूँ तो २० बरस का था,लेकिन चमकी के लिये हमेशा चॉकलेट,कुरकुरे,आईसक्रीम वगैरह लाया करता था। चमकी सुबह तैयार हो अपनी नई फ्रॉक में राखी ठूंस कर रघु को राखी बांधने चल दी।
चमकी को गये हुए ३ घण्टे से ज्यादा बीत गये थे,लेकिन अभी तक लौटी नहीं,तो चमकी के माता-पिता को चिन्ता होने लगी। दोनों ने पूरा मोहल्ला छान मारा,लेकिन चमकी का कहीं कोई पता नहीं चला। रघु की भी कोई खबर न थी। दोनों का रो-रो कर बुरा हाल था। रात बीत गयी,लेकिन चमकी नहीं लौटी।
सुबह अखबार के एक कोने में खबर छपी-‘शहर में पांच वर्ष की मासूस की दुष्कर्म के बाद हत्या’ साथ में एक तस्वीर भी छपी थी,जिसमें एक बच्ची के शव के पास राखी के टुकड़े बिखरे पड़े थे।
परिचय-पवन प्रजापति का स्थाई निवास राजस्थान के जिला पाली में है। साहित्यिक उपनाम ‘पथिक’ से लेखन क्षेत्र में पहचाने जाने वाले श्री प्रजापति का जन्म १ जून १९८२ को निमाज (जिला-पाली)में हुआ है। इनको भाषा ज्ञान-हिन्दी,अंग्रेजी एवं राजस्थानी का है। राजस्थान के ग्राम निमाज वासी पवन जी ने स्नातक की शिक्षा हासिल की है। इनका स्वयं का व्यवसाय है। लेखन विधा-कविता,लेख एवं कहानी है। ब्लॉग पर भी कलम चलाने वाले ‘पथिक’ की लेखनी का उद्देश्य-मानव कल्याण एवं राष्ट्रहित के मुद्दे उठाना है। आपकी दृष्टि में प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानन्द जी हैं। इनकी विशेषज्ञता- भावनात्मक कविता एवं लघुकथा लेखन है।