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प्रेम-पागलपन

ममता तिवारी
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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प्रति व्यक्ति दायरे में बन्द
दायरा है वासनाओं का,
घिरते अपने ही बुने जाल में
फंसते-धँसते हुएये तन-मन।

वासनाएँ अर्थ काम या मोक्ष
कभी मान कभी जन गुमान,
जीवन जीने की या मृत्यु की
प्रेमार्पन व प्रेम पागलपन।

वासनाएँ एक पूर्ण हुई नहीं
और उभर आती है दूसरी।
मुँह उठाए है तमतमाए,
कहती हूँ मैं अधूरी गहन॥

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