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महाकवि तुलसीदास:अजर अमर नाम

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’
लखीमपुर खीरी(उप्र)
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महाकवि गोस्वामी तुलसीदास (२४ जुलाई) जयंती स्पर्धा विशेष

चित्रकूट में है बसा,इक राजापुर ग्राम।
‘श्री तुलसी’ जन्मस्थली,कहते लोग तमामll

आँचल हुलसी का मिला,पिता आत्माराम।
दासी चुनियाँ ने किया,पालन शिशु निष्कामll

‘तुलसी’ माँ के गर्भ में,रहे पूर्ण इक वर्ष।
अद्भुत बालक देखकर,हुआ न कोई हर्षll

दाँत सभी थे जन्म से,किये उच्चरित राम।
नाम रामबोला पड़ा,भक्ति-भाव उर धामll

गायत्री के मंत्र का,उच्चारण अविराम।
सुनकर नरहरिदास ने,रक्खा तुलसी नामll

श्री गणपति की प्रेरणा,बजरंगी का साथ।
मातु शारदे की कृपा,अंतस में रघुनाथll

रामचरितमानस विमल,अद्भुत ग्रंथ महान।
जिसमें तुलसीदास ने,किया राम गुणगानll

सात माह छब्बीस दिन,लगे पूर्ण दो वर्ष।
महाग्रंथ लिखकर हुआ,बाबा को अति हर्षll

श्री मानस के रचयिता,बाबा तुलसीदास।
शब्द-शब्द में है स्वयं,रामचन्द्र का वासll

कलयुग में कल्याण का,बस निमित्त यह एक।
रामचरित मानस पढ़ें,छोड़ उपाय अनेकll

संवत सोलह सौ असी,पावन श्रावन माह।
शुक्ल पक्ष तिथि सप्तमी,चले स्वर्ग की राहll

तुलसी जैसे सन्त का,अजर-अमर है नाम।
जिनके मन क्रम वचन में,श्री रघुनंदन रामll

परिचय- शिवेन्द्र मिश्र का साहित्यिक उपनाम ‘शिव’ है। १० अप्रैल १९८९ को सीतापुर(उप्र)में जन्मे शिवेन्द्र मिश्र का स्थाई व वर्तमान बसेरा मैगलगंज (खीरी,उप्र)में है। इन्हें हिन्दी व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। जिला-लखीमपुर खीरी निवासी शिवेन्द्र मिश्र ने परास्नातक (हिन्दी व अंग्रेजी साहित्य) तथा शिक्षा निष्णात् (एम.एड.)की पढ़ाई की है,इसलिए कार्यक्षेत्र-अध्यापक(निजी विद्यालय)का है। आपकी लेखन विधा-मुक्तक,दोहा व कुंडलिया है। इनकी रचनाएँ ५ सांझा संकलन(काव्य दर्पण,ज्ञान का प्रतीक व नई काव्यधारा आदि) में प्रकाशित हुई है। इसी तरह दैनिक समाचार पत्र व विभिन्न पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार देखें तो विशिष्ट रचना सम्मान,श्रेष्ठ दोहाकार सम्मान विशेष रुप से मिले हैं। श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा की सेवा करना है। आप पसंदीदा हिन्दी लेखक कुंडलियाकार श्री ठकुरैला व कुमार विश्वास को मानते हैं,जबकि कई श्रेष्ठ रचनाकारों को पढ़ कर सीखने का प्रयास करते हैं। विशेषज्ञता-दोहा और कुंडलिया केa अल्प ज्ञान की है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार(दोहा)-
‘हिन्दी मानस में बसी,हिन्दी से ही मान।
हिन्दी भाषा प्रेम की,हिन्दी से पहचान॥’

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