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महर्षि दयानंद सरस्वती…मूल से महर्षि तक

प्रीति शर्मा `असीम`
नालागढ़(हिमाचल प्रदेश)
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`मूल शंकर`…वह बालक,
जीवन के
मूल मंत्र जब जान गया।
महर्षि बनकर,
संपूर्ण,
मानव जाति को तार गयाll

जीवन के,
मूल मंत्र जब जान गया।
वेदों की सत्ता का,
जब जन-जन में प्रचार किया।
हम महान भारत की संतानें हैं,
मन-मन में यह विचार गया।

ज्ञान की खोज में,
पाणिनी व्याकरण
पातंजल का योग सूत्र दिया।
वेद-वेदांग का देकर अध्ययन,
मत-मतांतरों की
अविद्या को दूर किया।

पाखंड-खंडनी,
पताका फहरा कर
अंधविश्वासों को दूर किया।
धन्य हुई भारत की नारी।
जिसके जीवन में,
शिक्षा का आविर्भाव हुआ।

सती प्रथा,बाल विवाह को,
रोक हर नारी का उद्धार किया।
बुझी चिंगारी सन-सत्तावन की,
फिर से उसे जीवन प्राण दिया।

स्वराज के इच्छुक,
हर मन को
महर्षि ने फिर से तैयार किया।
आर्य भाषा को देकर जीवन,
संस्कृत का नाम किया।

जन विचार को सरल कर,
`कृण्वंतो विश्वमार्यम्`
का मंत्र…दिया।
सारे संसार को श्रेष्ठ करने का,
मन-मन में विचार भराll

परिचय-प्रीति शर्मा का साहित्यिक उपनाम `असीम` हैl ३० सितम्बर १९७६ को हिमाचल प्रदेश के सुंदरनगर में अवतरित हुई प्रीति शर्मा का वर्तमान तथा स्थाई निवास नालागढ़(जिला सोलन,हिमाचल प्रदेश) हैl आपको हिन्दी,पंजाबी सहित अंग्रेजी भाषा का ज्ञान हैl पूर्ण शिक्षा-बी.ए.(कला),एम.ए.(अर्थशास्त्र,हिन्दी) एवं बी.एड. भी किया है। कार्यक्षेत्र में गृहिणी `असीम` सामाजिक कार्यों में भी सहयोग करती हैंl इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी,निबंध तथा लेख है।सयुंक्त संग्रह-`आखर कुंज` सहित कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैंl आपको लेखनी के लिए प्रंशसा-पत्र मिले हैंl सोशल मीडिया में भी सक्रिय प्रीति शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-प्रेरणार्थ हैl आपकी नजर में पसंदीदा हिन्दी लेखक-मैथिलीशरण गुप्त,जयशंकर प्रसाद,निराला,महादेवी वर्मा और पंत जी हैंl समस्त विश्व को प्रेरणापुंज माननेवाली `असीम` के देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“यह हमारी आत्मा की आवाज़ है। यह प्रेम है,श्रद्धा का भाव है कि हम हिंदी हैं। अपनी भाषा का सम्मान ही स्वयं का सम्मान है।”

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