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आओ `बाबा`,गरीबों के घर के आगे देखो दीवार

नवेन्दु उन्मेष
राँची (झारखंड)

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कांग्रेस का `गरीबी हटाओ` का नारा अब फ्लॉप-शो होकर रह गया है। अब तो भाजपा सरकार का नया नारा है। गरीबों के घर के आगे दीवार खड़ी करो,ताकि जब अमेरिका के `बाबा` का भारत में पदार्पण हो तो उन्हें लगे कि भारत में गरीब अब हैं ही नहीं। इसीलिए तो बाबा के अहमदाबाद आगमन के पूर्व गरीबों के घर के आगे दीवारें खड़ी की जा रही है। हालांकि,बाबा राष्ट्रपति बनने से पूर्व कई बार मुंबई आ चुके हैं और भवन निर्माण का काम कर चुके हैं। मुझे लगता है कि वे भारत के गरीबों और गरीबी से अवश्य अवगत होंगे,लेकिन सरकार ने गरीबों के घरों के आगे दीवार खड़ी कर यह साबित करने की कोशिश की है कि भारत में गरीब मिट चुके हैं। अब तो बाबा के दर्शन के लिए आने वाले गरीबों को `आधार` कार्ड लेकर आना होगा,तभी वे बाबा का दर्शन भी कर सकेंगे। जाहिर है बाबा आधार कार्ड के आधार पर खुद समझ जाएंगे कि यह भारत का गरीब है या अमीर है।
वैसे,भारत में `मत` भी गरीब ही देने के लिए घर से निकलते हैं और कतार में खड़ा होकर सरकार चुनते हैं,लेकिन सरकार है कि गरीबों को अमीर ही समझती है,और अमीरों को सुपर अमीर। गरीबों के मत पर चुनी हुई सरकार गरीबों के घर के आगे दीवार खड़ी करती है। अगर सरकार का बस चले तो गरीबों के घर के उपर भी तिरपाल डलवा दे,ताकि अमेरिका के बाबा जैसे ही विमानतल पर उतरें तो उन्हें कोई झुग्गी-झोपड़ी दिखाई नहीं दे। हालांकि,भारत में `गरीबी हटाओ` नारे के कारण गरीब अमीर हुए या नहीं,लेकिन कुछ गरीब कांग्रेसी अमीर जरूर हो गए। यहां तक कि वे जेल की हवा भी खा चुके हैं।
पहले जब देश में एशियन खेल हुआ करता था,तो सबसे पहले आफत कुत्तों पर आती थी। नगर निगम वाले कुत्तों के पीछे पड़ जाते थे। कुत्ते समझते थे कि,जब एशियन खेल होता है तो उन पर क्यों आफत आती है। हम कुत्तों को गांवों के कमरे में कैद क्यों होना पड़ता है। अगर सरकार का बस चले तो बाबा के आने से पहले गरीबों को भी गांवों के घर में कैद रखें,और बाबा के जाने के बाद उन्हें कैदखाने से बाहर निकलने दे,ताकि बाबा को नए भारत का अहसास हो। उन्हें लगे कि,यहां कि सरकार ने गरीबी हटा दी है। तब बाबा कहेंगे भारत एक समृद्ध देश है। यहां तो गरीब हैं ही नहीं,जिस सड़क से मैं गुजरा वहां कोई आबादी नहीं थी। वहां तो सिर्फ दीवार ही दीवार नजर आ रही थी। ऐसे में कोई यह नहीं कह सकता कि,भारत कई करोड़ की जनसंख्या वाला देश है। बाबा को यही लगेगा कि,यहां तो पर्यावरण बचाने की भी जरूरत नहीं है,क्योंकि सड़कों पर तो सिर्फ दीवार ही है। आबादी रहे,तब तो न पर्यावरण बचाने से लेकर कई योजनाओं की जरूरत पड़ेगी,पर जब आबादी दिखाई ही नहीं देगी,तो सरकार को योजनाएं बनाने की क्या जरूरत…।
हालांकि,बाबा को यह नहीं मालूम कि,भारत का आदमी दारू भी पीता है और दारू पीने के बाद खुद को अमेरिका के राष्ट्रपति से कम नहीं समझता है। रात के वक्त में अगर कोई दारू पीए हुए व्यक्ति से पूछ लीजिए कि,-क्या अमेरिका के राष्ट्रपति भारत आ रहे हैं ?,तो वह कहेगा-मैं खुद ही अमेरिका का राष्ट्रपति हूँ और अभी तुरंत वाशिंगटन से आपके शहर में हवाई जहाज से लैंड किया हूँ। इससे पता चलता है कि देश का प्रत्येक शराबी यहां विदेशी मेहमान से कम नहीं है। वह अमेरिका वाले बाबा की तरह झूठ जरूर बोलता है,लेकिन उसका झूठ पकड़ा नहीं जाता। रात को खूब पी और दिन को तौबा-तौबा करने वाला हमारे देश का शराबी दिन में गरीब और रात को खुद अमेरिका का राष्ट्रपति साबित करने से नहीं हिचकता है।

परिचय-रांची(झारखंड) में निवासरत नवेन्दु उन्मेष पेशे से वरिष्ठ पत्रकार हैंl आप दैनिक अखबार में कार्यरत हैंl

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