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चरित्र को सार्थक करो..

डॉ.सोना सिंह 
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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इतिहास किसने है लिखा हमें यह ज्ञात नहीं,
कुल-गोत्र-वंश क्या है!!
यह किसने दिया ज्ञात नहीं,
आर्य है यादव! यह बात हमको ज्ञात नहीं।
चित्र विचित्र है,
परंतु यदि चरित्र है
तुम्हारा चरित्र है या देश का,
क्यों व्यर्थ वादे करते हो!
नित नया विवाद करते हो
चित्र विचित्र है परंतु यही चरित्र है।
याद रखने योग्य है एक ही सत्य जीवन का,
जिस तरह इस धरा पर जन्म हो
जिस पिता ने जन्म दिया,
वही,वही कुल गोत्र होगा तुम्हारा
वही होगा वंश तुम्हारा,
वही होगी जाति तुम्हारी
वही होंगे रिश्ते,
जवाब-प्रथा तुम्हारी।
क्यों विवाद में पढ़ते हो,
क्यों व्यर्थ वादे करते हो
यही चरित्र है,
उठो चलो,
अपने चरित्र को सार्थक करो…।
जिस वंश में जन्म,
उसी वंश को जीवंत करो॥

परिचय-डॉ.सोना सिंह का बसेरा मध्यप्रदेश के इंदौर में हैl संप्रति से आप देवी अहिल्या विश्वविद्यालय,इन्दौर के पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययनशाला में व्याख्याता के रूप में कार्यरत हैंl यहां की विभागाध्यक्ष डॉ.सिंह की रचनाओं का इंदौर से दिल्ली तक की पत्रिकाओं एवं दैनिक पत्रों में समय-समय पर आलेख,कविता तथा शोध पत्रों के रूप में प्रकाशन हो चुका है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के भारतेन्दु हरिशचंद्र राष्ट्रीय पुरस्कार से आप सम्मानित (पुस्तक-विकास संचार एवं अवधारणाएँ) हैं। आपने यूनीसेफ के लिए पुस्तक `जिंदगी जिंदाबाद` का सम्पादन भी किया है। व्यवहारिक और प्रायोगिक पत्रकारिता की पक्षधर,शोध निदेशक एवं व्यवहार कुशल डॉ.सिंह के ४० से अधिक शोध पत्रों का प्रकाशन,२०० समीक्षा आलेख तथा ५ पुस्तकों का लेखन-प्रकाशन हुआ है। जीवन की अनुभूतियों सहित प्रेम,सौंदर्य को देखना,उन सभी को पाठकों तक पहुंचाना और अपने स्तर पर साहित्य और भाषा की सेवा करना ही आपकी लेखनी का उद्देश्य है।

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