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हमें कुछ भी न मिला

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’
इन्दौर(मध्यप्रदेश)
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जब मैं निकली घर से कुछ खोजने तो,
कोई मुझे तेरे जैसा न मिला।
मिले तो बहुत परंतु…
किसी को पाया खोया सा अपने में,
किसी को किसी की खातिर मर मिटने में
किसी को बेचैन,किसी को सुकून में पाया।
किसी को बिखरा हुआ पाया,
तो किसी खुद में सिमटा हुआ
किसी हो उल्लसित पाया तो,
किसी की विषाद में घेरा हुआ।

जब मैं निकली कुछ खोजने…
किसी को अनुराग में पाया तो,
किसी को वियोग में
किसी को राह में पाया तो,
कोई मंजिल के करीब में।
किसी को झूठे अहम में पाया तो,
किसी में निश्छल सहजता में।

जब में निकली घर से…
पाया तो बहुत को,
पर कोई हमनिसां,हमजुंबा न मिला
किसी को पाया मंजिल में,
किसी को कारवां भी न मिला।

जब मैं निकली घर से…
तो किसी को खाली हाथ पाया तो
कोई दोनों हाथों से खुशियाँ बटोरता मिला।
जब में निकली घर से…॥

परिचय-डॉ. वंदना मिश्र का वर्तमान और स्थाई निवास मध्यप्रदेश के साहित्यिक जिले इन्दौर में है। उपनाम ‘मोहिनी’ से लेखन में सक्रिय डॉ. मिश्र की जन्म तारीख ४ अक्टूबर १९७२ और जन्म स्थान-भोपाल है। हिंदी का भाषा ज्ञान रखने वाली डॉ. मिश्र ने एम.ए. (हिन्दी),एम.फिल.(हिन्दी)व एम.एड.सहित पी-एच.डी. की शिक्षा ली है। आपका कार्य क्षेत्र-शिक्षण(नौकरी)है। लेखन विधा-कविता, लघुकथा और लेख है। आपकी रचनाओं का प्रकाशन कुछ पत्रिकाओं ओर समाचार पत्र में हुआ है। इनको ‘श्रेष्ठ शिक्षक’ सम्मान मिला है। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। लेखनी का उद्देश्य-समाज की वर्तमान पृष्ठभूमि पर लिखना और समझना है। अम्रता प्रीतम को पसंदीदा हिन्दी लेखक मानने वाली ‘मोहिनी’ के प्रेरणापुंज-कृष्ण हैं। आपकी विशेषज्ञता-दूसरों को मदद करना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिन्दी की पताका पूरे विश्व में लहराए।” डॉ. मिश्र का जीवन लक्ष्य-अच्छी पुस्तकें लिखना है।

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