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मन की बात

देवश्री गोयल
जगदलपुर-बस्तर(छग)
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सिर्फ जल ही अर्पित नहीं करती स्त्री प्रभु चरण में…,
स्वेद,अश्रु भी मिले होते हैं उसके उस जल में…।

सिर्फ सपुष्प ही अर्पित नहीं करती स्त्री प्रभु चरण में…,
शुद्ध भाव भी समर्पित होते हैं उस पुष्प में…।

सिर्फ दीप ही नहीं जलाती स्त्री प्रभु की भक्ति में…,
अपना विश्वास आस्था भी समर्पित करती है…।

सिर्फ प्रार्थना ही नहीं करती स्त्री प्रभु की…,
समस्त परिवार का रक्षा कवच बन जाती है स्त्री…।

अपने लिए कुछ नहीं मांगती…,सबके लिए सब कुछ मांग कर,
सबको दे कर…तृप्त हो जाती है स्त्री…॥

परिचय-श्रीमती देवश्री गोयल २३ अक्टूबर १९६७ को कोलकाता (पश्चिम बंगाल)में जन्मी हैं। वर्तमान में जगदलपुर सनसिटी( बस्तर जिला छतीसगढ़)में निवासरत हैं। हिंदी सहित बंगला भाषा भी जानने वाली श्रीमती देवश्री गोयल की शिक्षा-स्नातकोत्तर(हिंदी, अंग्रेजी,समाजशास्त्र व लोक प्रशासन)है। आप कार्य क्षेत्र में प्रधान अध्यापक होकर सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत अपने कार्यक्षेत्र में ही समाज उत्थान के लिए प्रेरणा देती हैं। लेखन विधा-गद्य,कविता,लेख,हायकू व आलेख है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार करना है,क्योंकि यह भाषा व्यक्तित्व और भावना को व्यक्त करने का उत्तम माध्यम है। आपकी रचनाएँ दैनिक समाचार पत्र एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं। आपके पसंदीदा हिंदी लेखक-मुंशी प्रेमचंद एवं महादेवी वर्मा हैं,जबकि प्रेरणा पुंज-परिवार और मित्र हैं। देवश्री गोयल की विशेषज्ञता-विचार लिखने में है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी भाषा हमारी आत्मा की भाषा है,और देश के लिए मेरी आत्मा हमेशा जागृत रखूंगी।”

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